"गीता 2:53" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> <table class="gita" width="100%" align="left"> <tr> <td> ==गीता अध्याय-2 श्लोक-53 / Gita Chapter-2 Verse-53== {| width="80%"...) |
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - '[[category' to '[[Category') |
||
(४ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ७ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | {{menu}} | + | {{menu}} |
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति ९: | पंक्ति ९: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
− | पूर्वश्लोकों में भगवान् ने यह बात कही कि जब तुम्हारी बुद्धि मोहरूपी दलदल को सर्वथा | + | पूर्वश्लोकों में भगवान् ने यह बात कही कि जब तुम्हारी बुद्धि मोहरूपी दलदल को सर्वथा पार कर जायेगी तथा तुम इस लोक और परलोक के समस्त भोगों से विरक्त हो जाओगे, तुम्हारी बुद्धि परमात्मा में निश्चल ठहर जायेगी, जब तुम परमात्मा को प्राप्त हो जाओगे । इस पर परमात्मा को प्राप्त स्थित प्रज्ञ, सिद्ध योगी के लक्षण और आचरण जानने की इच्छा से <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> पूछते हैं | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
− | ''' | + | '''श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला ।'''<br/> |
'''समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि ।।53।।''' | '''समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि ।।53।।''' | ||
</div> | </div> | ||
पंक्ति ३९: | पंक्ति ४०: | ||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
− | < | + | <tr> |
+ | <td> | ||
<br /> | <br /> | ||
− | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 2:52|<= पीछे Prev]] | [[गीता 2:54|आगे Next =>'''</div> | + | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 2:52|<= पीछे Prev]] | [[गीता 2:54|आगे Next =>]]'''</div> |
+ | </td> | ||
+ | </tr> | ||
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
<br /> | <br /> | ||
{{गीता अध्याय 2}} | {{गीता अध्याय 2}} | ||
− | {{गीता अध्याय}} | + | </td> |
− | [[ | + | </tr> |
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
+ | {{गीता अध्याय}}</td> | ||
+ | </tr> | ||
+ | </table> | ||
+ | [[Category:गीता]] | ||
+ | __INDEX__ |
२२:३९, ४ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-53 / Gita Chapter-2 Verse-53
|
||||
|
||||
|
||||
<sidebar>
__NORICHEDITOR__
|