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− | + | <balloon link="index.php?title=पांडव" title="पांडव कुन्ती के पुत्र थे। इनके नाम युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे। | |
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+ | पाण्डवों</balloon> की शंखध्वनि से <balloon link="index.php?title=कौरव" title="गान्धारी के सौ पुत्र कौरव कहलाते है । दुर्योधन इन सबमें सबसे बड़ा था । | ||
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+ | कौरव</balloon> वीरों के व्यथित होने का वर्णन करके, अब चार श्लोकों में भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। | ||
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+ | श्रीकृष्ण</balloon> के प्रति कहे हुए <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। | ||
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+ | अर्जुन</balloon> के उत्साहपूर्ण वचनों का वर्णन किया जाता है- | ||
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− | और उस भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी को भी गुँजाते हुए | + | और उस भयानक शब्द ने आकाश और [[पृथ्वी]] को भी गुँजाते हुए <balloon link="index.php?title=धृतराष्ट्र" title="धृतराष्ट्र पाण्डु के बड़े भाई थे । गाँधारी इनकी पत्नी थी और कौरव इनके पुत्र । पाण्डु के बाद हस्तिनापुर के राजा बने । |
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+ | धृतराष्ट्र</balloon> के यानी आपके पक्ष वालों के ह्रदय विदीर्ण कर दिये ।।19।। | ||
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१२:३२, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-19 / Gita Chapter-1 Verse-19
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