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− | वे अपने-आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले घमण्डी | + | वे अपने-आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले घमण्डी पुरुष धन और मान के मद से युक्त होकर केवल नाम मात्र के यज्ञों द्वारा पाखण्ड से शास्त्र विधि रहित यजन करते हैं ।।17।। |
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− | ते = वे ; आत्मसंभाविता: = अपने आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले ; स्तब्धा: = घमण्डी | + | ते = वे ; आत्मसंभाविता: = अपने आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले ; स्तब्धा: = घमण्डी पुरुष ; धनमानमदान्विता: = धन और मानके मदसे युक्त हुए ; अविधिपूर्वकम् = शास्त्रविधि से रहित ; नामयज्ञै: = केवल नाममा़त्र के यज्ञों द्वारा ; दम्भेन = पाखण्ड से ; यजन्ते = यजन करते हैं ; |
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१२:२४, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-16 श्लोक-17 / Gita Chapter-16 Verse-17
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