ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति ३६: |
पंक्ति ३६: |
| </td> | | </td> |
| </tr> | | </tr> |
− | </table> | + | <tr> |
| + | <td> |
| <br /> | | <br /> |
− | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 2:30|<= पीछे Prev]] | [[गीता 2:32|आगे Next =>]]'''</div> | + | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 2:30|<= पीछे Prev]] | [[गीता 2:32|आगे Next =>]]'''</div> |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| <br /> | | <br /> |
| {{गीता अध्याय 2}} | | {{गीता अध्याय 2}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| {{गीता अध्याय}} | | {{गीता अध्याय}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | </table> |
| [[category:गीता]] | | [[category:गीता]] |
०४:४१, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-31 / Gita Chapter-2 Verse-31
स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि ।
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते ।।31।।
|
तथा अपने धर्म को देखकर भी तू भय करने योग्य नहीं है यानी तुझे भय नहीं करना चाहिये; क्योंकि क्षत्रिय के लिये धर्मयुक्त युद्ध से बढ़कर दूसरा कोई कल्याणकारी कर्तव्य नहीं है ।।31।।
|
Besides: considering your own duty too you sould not waver; for there is nothing more welcome for a man of the warrior class than a righteous war.(31)
|
च = और ; स्वधर्मम् = अपने धर्मको ; अवेक्ष्य = देखकर ; अपि = भी (तूं) ; विकम्पितुम् = भय करनेको; न अर्हसि = योग्य नहीं है ; हि = क्योंकि ; धर्म्यात् = धर्मचुक्त ; युद्धसे बढकर ; अन्यत् = दूसरा (कोई) ; श्रेय: = कल्याणकारक कर्तव्य ; क्षत्रियस्य = क्षत्रियके लिये ; न = नहीं; विद्यते = है
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|