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तथा सब लोग तेरी बहुत काल तक रहने वाली अपकीर्ति का भी कथन करेंगे और माननीय पुरूष के लिये अपकीर्ति मरण से भी बढ़कर है ।।34।।
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तथा सब लोग तेरी बहुत काल तक रहने वाली अपकीर्ति का भी कथन करेंगे और माननीय पुरुष के लिये अपकीर्ति मरण से भी बढ़कर है ।।34।।
  
 
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च = और ; भूतानि = सब लोग ; ते = तेरी ; अव्ययाम् = बहुत कालतक रहने वाली ; अकीर्तिम् = अपकीर्तिको ; अपि = भी ; च = और (वह); अकीर्ति: = अपकीर्ति ; संभावितस्य = माननीय पुरूषके लिये ; मरणात् = मरणसे (भी) ; अतिरिच्यते = अधकि (बुरी) होती है|
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च = और ; भूतानि = सब लोग ; ते = तेरी ; अव्ययाम् = बहुत कालतक रहने वाली ; अकीर्तिम् = अपकीर्तिको ; अपि = भी ; च = और (वह); अकीर्ति: = अपकीर्ति ; संभावितस्य = माननीय पुरुषके लिये ; मरणात् = मरणसे (भी) ; अतिरिच्यते = अधकि (बुरी) होती है|
 
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१२:०८, १४ फ़रवरी २०१० का अवतरण

गीता अध्याय-2 श्लोक-34 / Gita Chapter-2 Verse-34


अकर्तिं चापि भूतानि
कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम् ।
सम्भावितस्य चाकीर्ति-
र्मरणादतिरिच्यते ।।34।।




तथा सब लोग तेरी बहुत काल तक रहने वाली अपकीर्ति का भी कथन करेंगे और माननीय पुरुष के लिये अपकीर्ति मरण से भी बढ़कर है ।।34।।


Nay, people will also pour undying infamy on you; and infamy brought on a man enjoying popular esteem is worse than death.(34)


च = और ; भूतानि = सब लोग ; ते = तेरी ; अव्ययाम् = बहुत कालतक रहने वाली ; अकीर्तिम् = अपकीर्तिको ; अपि = भी ; च = और (वह); अकीर्ति: = अपकीर्ति ; संभावितस्य = माननीय पुरुषके लिये ; मरणात् = मरणसे (भी) ; अतिरिच्यते = अधकि (बुरी) होती है|



अध्याय दो श्लोक संख्या
Verses- Chapter-2

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 , 43, 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72

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