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११:३६, ७ अगस्त २०१० के समय का अवतरण

आचार्य देवसेन / Acharya Devsen

  • आचार्य देवसेन ने प्राकृत में नयचक्र लिखा है।
  • संभव है इसी का उल्लेख आचार्य विद्यानन्द ने अपने तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक<balloon title="तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक,पृ0 276" style=color:blue>*</balloon> में किया हो और उससे ही नयों को विशेष जानने की सूचना की हो।
  • इनका अस्तित्व समय वि0 सं0 9वीं शती माना जाता है।
  • यह नय-मर्मज्ञ मनीषी थे।

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