"गीता 18:12" के अवतरणों में अंतर
छो |
छो (Text replace - '<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>' to '<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>') |
||
(२ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ५ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | {{menu}} | + | {{menu}} |
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति २३: | पंक्ति २३: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | कर्म फल का त्याग न करने वाले मनुष्यों के कर्मों का तो अच्छा, बुरा और मिला हुआ – ऐसे तीन प्रकार का फल मरने के | + | कर्म फल का त्याग न करने वाले मनुष्यों के कर्मों का तो अच्छा, बुरा और मिला हुआ – ऐसे तीन प्रकार का फल मरने के पश्चात अवश्य होता है; किन्तु कर्मफल का त्याग कर देने वाले मनुष्यों के कर्मों का फल किसी काल में भी नहीं होता ।।12।। |
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
पंक्ति ३४: | पंक्ति ३४: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
− | अत्यागिनाम् = सकामी | + | अत्यागिनाम् = सकामी पुरुषों के ; कर्मण: = कर्मका (ही) ; इष्टम् = अच्छा ; अनिष्टम् = बुरा ; च = और ; मिश्रम् = मिला हुआ ; (इति) = ऐसे ; त्रिविधम् = तीन प्रकार का ; फलम् = फल ; प्रेत्य = मरने का पश्र्चात् (भी) ; भवति = होता है ; तु =और ; संन्यासिनाम् = त्यागी पुरुषों के (कर्मों का फल) ; कचित् = किसी काल में भी ; न = नहीं होता ; |
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति ५४: | पंक्ति ५४: | ||
<td> | <td> | ||
{{गीता अध्याय}} | {{गीता अध्याय}} | ||
+ | </td> | ||
+ | </tr> | ||
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
+ | {{गीता2}} | ||
+ | </td> | ||
+ | </tr> | ||
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
+ | {{महाभारत}} | ||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
</table> | </table> | ||
− | [[ | + | [[Category:गीता]] |
__INDEX__ | __INDEX__ |
१२:२७, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-12 / Gita Chapter-18 Verse-12
|
||||||||
|
||||||||
|
||||||||
<sidebar>
__NORICHEDITOR__
</sidebar> |
||||||||
|
||||||||