"गीता 18:19" के अवतरणों में अंतर
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− | इस प्रकार सांख्ययोग के सिद्धान्त से कर्म-चोदना(कर्म-प्रेरणा) और कर्म-संग्रह का निरूपण करके अब तत्व ज्ञान में सहायक सात्त्विक भाव को ग्रहण कराने के लिये और उसके विरोधी राजस, तामस भावों का त्याग कराने के लिये उपर्युक्त कर्म | + | इस प्रकार सांख्ययोग के सिद्धान्त से कर्म-चोदना (कर्म-प्रेरणा) और कर्म-संग्रह का निरूपण करके अब तत्व ज्ञान में सहायक सात्त्विक भाव को ग्रहण कराने के लिये और उसके विरोधी राजस, तामस भावों का त्याग कराने के लिये उपर्युक्त कर्म प्रेरणा और कर्म-संग्रह के नाम से बतलाये हुए ज्ञान आदि में से ज्ञान, कर्म और कर्ता के सात्त्विक, राजस और तामस- इस प्रकार त्रिविध भेद क्रम से बतलाने की प्रस्तावना करते हैं- |
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− | गुणों की संख्या करने वाले शास्त्र में ज्ञान और कर्म तथा कर्त्ता गुणों के भेद से तीन-तीन प्रकार के ही कहे गये हैं, उनको भी तू मुझसे | + | गुणों की संख्या करने वाले शास्त्र में ज्ञान और कर्म तथा कर्त्ता गुणों के भेद से तीन-तीन प्रकार के ही कहे गये हैं, उनको भी तू मुझसे भली-भाँति सुन ।।19।। |
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | In | + | In accordance with the three modes of material nature, there are three kinds of knowledge, action, and performers of action. Listen as I describe them.(19) |
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१२:२७, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
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गीता अध्याय-18 श्लोक-19 / Gita Chapter-18 Verse-19
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