"गीता 18:40" के अवतरणों में अंतर

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'''सत्त्वं प्रकृतिजैर्मुक्तं यदेभि: स्यात्त्रिभिर्गुणै: ।।40।।'''
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पृथ्वी में या आकाश में अथवा देवताओं में तथा इनके सिवा और कहीं भी ऐसा कोई भी सत्त्व नहीं है, जो प्रकृति से उत्पत्र इन तीनों गुणों से रहित हो ।।40।।  
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[[पृथ्वी]] में या आकाश में अथवा देवताओं में तथा इनके सिवा और कहीं भी ऐसा कोई भी सत्त्व नहीं है, जो प्रकृति से उत्पन्न इन तीनों गुणों से रहित हो ।।40।।  
  
 
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There is no being on earth or in the middle region or even among the gods or anywhere else, which is free from these three Gunas born of Prakrti. (40)  
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There is no being existing, either here or among the demigods in the higher planetary systems, which is freed from the three modes of material nature. (40)  
 
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१२:२९, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण

गीता अध्याय-18 श्लोक-40 / Gita Chapter-18 Verse-40

प्रसंग-


इस प्रकार अठारहवें श्लोक से वर्णित मुख्य-मुख्य पदार्थों के सात्त्विक, राजस और तामस- ऐसे तीन-तीन भेद बतलाकर अब इस प्रकरण का उपसंहार करते हुए भगवान् सृष्टि के समस्त पदार्थों को तीनों गुणों से युक्त बतलाते हैं-


न तदस्ति पृथिव्यां वा दिवि देवेषु वा पुन: ।
सत्वं प्रकृतिजैर्मुक्तं यदेभि: स्यात्त्रिभिर्गुणै: ।।40।।



पृथ्वी में या आकाश में अथवा देवताओं में तथा इनके सिवा और कहीं भी ऐसा कोई भी सत्त्व नहीं है, जो प्रकृति से उत्पन्न इन तीनों गुणों से रहित हो ।।40।।

There is no being existing, either here or among the demigods in the higher planetary systems, which is freed from the three modes of material nature. (40)


पुन: = और (हे अर्जुन) ; पृथिव्याम् = पृथिवी में ; वा = या ; दिवि = स्वर्ग में ; वा = अथवा ; देवेषु = देवताओं में (ऐसा) ; तत् = वह (कोई भी) ; मुक्तम् = रहित ; सत्त्वम् = प्राणी ; न = नहीं ; अस्ति = है (कि) ; यत् = जो ; इभि: = इन ; प्रकृतिजै: = प्रकृति से उत्पन्न हुए ; त्रिभि: = तीनों ; गुणैं: = गुणों से ; स्यात् = हो ;



अध्याय अठारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-18

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36, 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51, 52, 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78

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