"गीता 18:42" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> <table class="gita" width="100%" align="left"> <tr> <td> ==गीता अध्याय-18 श्लोक-42 / Gita Chapter-18 Verse-42== {| width="80...) |
छो (Text replace - '<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>' to '<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>') |
||
(४ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ८ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | {{menu}} | + | {{menu}} |
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति ९: | पंक्ति ९: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
− | पूर्वश्लोक में की हुई प्रस्तावना के अनुसार पहले | + | पूर्वश्लोक में की हुई प्रस्तावना के अनुसार पहले ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म बतलाते हैं- |
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
− | '''शमो दमस्तप: | + | '''शमो दमस्तप: शौचं क्षान्तिरार्जवमेव च ।'''<br /> |
'''ज्ञानं विज्ञानमास्तिक्यं ब्रह्राकर्म स्वभावजम् ।।42।।''' | '''ज्ञानं विज्ञानमास्तिक्यं ब्रह्राकर्म स्वभावजम् ।।42।।''' | ||
</div> | </div> | ||
पंक्ति २३: | पंक्ति २३: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | अन्तकरण का निग्रह करना; इन्द्रियों का दमन करना; धर्मपालन के लिये कष्ट सहना; बाहर-भीतर से शुद्ध रहना, दूसरों के अपराधों को क्षमा करना; मन, इन्द्रिय और शरीर को सरल रखना; वेद, शास्त्र, ईश्वर और परलोक आदि में श्रद्धा रखना; वेद शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन करना और परमात्मा के तत्व का अनुभव करना | + | अन्तकरण का निग्रह करना; [[इन्द्रियों]] का दमन करना; धर्मपालन के लिये कष्ट सहना; बाहर-भीतर से शुद्ध रहना, दूसरों के अपराधों को क्षमा करना; मन, इन्द्रिय और शरीर को सरल रखना; <balloon link="index.php?title=वेद" title="वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">वेद</balloon>, शास्त्र, ईश्वर और परलोक आदि में श्रद्धा रखना; वेद शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन करना और परमात्मा के तत्व का अनुभव करना ये सब के सब ही ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म हैं ।।42।। |
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
पंक्ति ३९: | पंक्ति ३९: | ||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
− | < | + | <tr> |
+ | <td> | ||
<br /> | <br /> | ||
− | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 18:41|<= पीछे Prev]] | [[गीता 18: | + | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 18:41|<= पीछे Prev]] | [[गीता 18:43|आगे Next =>]]'''</div> |
+ | </td> | ||
+ | </tr> | ||
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
<br /> | <br /> | ||
− | {{गीता अध्याय 18}} | + | {{गीता अध्याय 18}}</td> |
+ | </tr> | ||
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
{{गीता अध्याय}} | {{गीता अध्याय}} | ||
− | [[ | + | </td> |
+ | </tr> | ||
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
+ | {{गीता2}} | ||
+ | </td> | ||
+ | </tr> | ||
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
+ | {{महाभारत}} | ||
+ | </td> | ||
+ | </tr> | ||
+ | </table> | ||
+ | [[Category:गीता]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
१२:२९, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-42 / Gita Chapter-18 Verse-42
|
||||||||
|
||||||||
|
||||||||
<sidebar>
__NORICHEDITOR__
</sidebar> |
||||||||
|
||||||||