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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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− | प्रश्न उठता है कि | + | प्रश्न उठता है कि कर्म बन्धन से छूटकर परम शान्ति लाभ करने के लिये मनुष्य को क्या करना चाहिये ? इस पर भगवान् उसका कर्तव्य बतलाते हुए कहते हैं- |
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− | हे भारत ! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में जा । उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सनातन परम धाम को प्राप्त होगा ।।62।। | + | हे <balloon title="पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।" style="color:green">भारत</balloon> ! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में जा । उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सनातन परम धाम को प्राप्त होगा ।।62।। |
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१२:३१, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-62 / Gita Chapter-18 Verse-62
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