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०६:१८, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
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गीता अध्याय-6 श्लोक-42 / Gita Chapter-6 Verse-42
प्रसंग-
योगिकुल में जन्म लेने वाले योगभ्रष्ट पुरूष की उस जन्म में जैसी परिस्थिति होती है, अब उसे बतलाते हैं-
अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम् ।
एतद्धि दुर्लभतरं लोके जन्म यदीदृशम् ।।42।।
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अथवा वैराग्यवान् पुरूष उन लोकों में न जाकर ज्ञानवान् योगियों के ही कुल में जन्म लेता हैं । परन्तु इस प्रकार का जो यह जन्म है सो संसार में नि:सन्देह अत्यन्त दुर्लभ है ।।42।।
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Or (if he is possessed of dispassion) he is born in the family of enlightened yogis; but such a birth in this world is very difficult to obtain.(42)
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अथवा = अथवा (वैराग्यवान् पुरूष उन लोकों में न जाकर) ; धीमताम् = ज्ञानवान् ; योगिनाम् = योगियों के ; एव = ही ; कुले = कुल में ; भवति = जन्म लेता है ; ईद्य्शम् = इस प्रकार का ; यत् = जो ; इतत् = यह ; जन्म = जन्म है (सो) ; लोके = संसार में ; हि = नि:सन्देह ; दुर्लभतरम् = अति दुर्लभ है ;
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