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परम दिव्य पुरूष का स्वरूप बतलाकर अब साधन की विधि और फल बतलाते है-  
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'''भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव ।'''<br/>
 
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'''भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक्'''<br/>  
 
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'''स तं परं पुरूषमुपैति दिव्यम् ।।10।।'''
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वह भक्तियुक्त पुरूष अन्तकाल में भी योगबल से भृकुटी के मध्य में प्राण को अच्छी प्रकार स्थापित करके, फिर निश्चल मन से स्मरण करता हुआ उस दिव्य स्वरूप परम पुरूष परमात्मा को ही प्राप्त होता है ।।10।।
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वह भक्तियुक्त पुरुष अन्तकाल में भी योगबल से भृकुटी के मध्य में प्राण को अच्छी प्रकार स्थापित करके, फिर निश्चल मन से स्मरण करता हुआ उस दिव्य स्वरूप परम पुरुष परमात्मा को ही प्राप्त होता है ।।10।।
  
 
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स: = वह ; भक्त्या = भक्तियुक्त पुरूष ; प्रयाणकाले = अन्तकाल में (भी) ; योगबलेन = योगबल से ; भ्रुवो: = भृकुटी के ; मध्ये = मध्य में ; प्राणम् = प्राण को ; सम्यक् = अच्छी प्रकार ; एव = ही ; आवेश्य = स्थापन करके ; च = फिर ; अचलेन = निश्र्चल ; मनसा = मन से ; (स्मरन्)= स्मरण करता हुआ ; तम् = उस ; दिव्यम् = दिव्यस्वरूप ; परम् पुरूषम् = परम पुरूष परमात्मा को ; उपैति = प्राप्त होता है  
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स: = वह ; भक्त्या = भक्तियुक्त पुरुष ; प्रयाणकाले = अन्तकाल में (भी) ; योगबलेन = योगबल से ; भ्रुवो: = भृकुटी के ; मध्ये = मध्य में ; प्राणम् = प्राण को ; सम्यक् = अच्छी प्रकार ; एव = ही ; आवेश्य = स्थापन करके ; च = फिर ; अचलेन = निश्र्चल ; मनसा = मन से ; (स्मरन्)= स्मरण करता हुआ ; तम् = उस ; दिव्यम् = दिव्यस्वरूप ; परम् पुरुषम् = परम पुरुष परमात्मा को ; उपैति = प्राप्त होता है  
 
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१२:४९, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण

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गीता अध्याय-8 श्लोक-10 / Gita Chapter-8 Verse-10

प्रसंग-


परम दिव्य पुरुष का स्वरूप बतलाकर अब साधन की विधि और फल बतलाते है-


प्रयाणकाले मनसाचलेन
भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव ।
भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक्
स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम् ।।10।।



वह भक्तियुक्त पुरुष अन्तकाल में भी योगबल से भृकुटी के मध्य में प्राण को अच्छी प्रकार स्थापित करके, फिर निश्चल मन से स्मरण करता हुआ उस दिव्य स्वरूप परम पुरुष परमात्मा को ही प्राप्त होता है ।।10।।

Having by the power of yoga firmly held the life-breath in the space between the two eyebrows even at the time of death, and the contemplating on god with a steadfast mind, full of devotion, he reaches verily that supreme divine purusa (god) . (10)


स: = वह ; भक्त्या = भक्तियुक्त पुरुष ; प्रयाणकाले = अन्तकाल में (भी) ; योगबलेन = योगबल से ; भ्रुवो: = भृकुटी के ; मध्ये = मध्य में ; प्राणम् = प्राण को ; सम्यक् = अच्छी प्रकार ; एव = ही ; आवेश्य = स्थापन करके ; च = फिर ; अचलेन = निश्र्चल ; मनसा = मन से ; (स्मरन्)= स्मरण करता हुआ ; तम् = उस ; दिव्यम् = दिव्यस्वरूप ; परम् पुरुषम् = परम पुरुष परमात्मा को ; उपैति = प्राप्त होता है



अध्याय आठ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-8

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28

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    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

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