"गीता 8:21" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - '<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>' to '<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>')
 
(२ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ४ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{menu}}<br />
+
{{menu}}
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<tr>
 
<tr>
पंक्ति ९: पंक्ति ९:
 
'''प्रसंग-'''
 
'''प्रसंग-'''
 
----
 
----
आठवें और दसवें श्लोकों में अधियज्ञ की उपासना का फल परम दिव्य पुरूष की प्राप्ति, तेरहवें श्लोक में परम अक्षर निर्गुण ब्रह्रा की उपासना का फल परमगति की प्राप्ति और चौदहवें श्लोक में सगुण-साकार भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">श्रीकृष्ण</balloon> की उपासना का फल भगवान् की प्राप्ति बतलाया गया है । इससे तीनों में किसी प्रकार के भेद का भ्रम न हो जाये, इस उद्देश्य से अब सबकी एकता का प्रतिपादन करते हुए उनकी प्राप्ति के बाद पुनर्जन्म का अभाव दिखलाते हैं-  
+
आठवें और दसवें श्लोकों में अधियज्ञ की उपासना का फल परम दिव्य पुरुष की प्राप्ति, तेरहवें श्लोक में परम अक्षर निर्गुण ब्रह्रा की उपासना का फल परमगति की प्राप्ति और चौदहवें श्लोक में सगुण-साकार भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">श्रीकृष्ण</balloon> की उपासना का फल भगवान् की प्राप्ति बतलाया गया है । इससे तीनों में किसी प्रकार के भेद का भ्रम न हो जाये, इस उद्देश्य से अब सबकी एकता का प्रतिपादन करते हुए उनकी प्राप्ति के बाद पुनर्जन्म का अभाव दिखलाते हैं-  
 
----
 
----
 
<div align="center">
 
<div align="center">
पंक्ति ५४: पंक्ति ५४:
 
<td>
 
<td>
 
{{गीता अध्याय}}
 
{{गीता अध्याय}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{गीता2}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{महाभारत}}
 
</td>
 
</td>
 
</tr>
 
</tr>
 
</table>
 
</table>
[[category:गीता]]
+
[[Category:गीता]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

१२:५०, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण

गीता अध्याय-8 श्लोक-21 / Gita Chapter-8 Verse-21

प्रसंग-


आठवें और दसवें श्लोकों में अधियज्ञ की उपासना का फल परम दिव्य पुरुष की प्राप्ति, तेरहवें श्लोक में परम अक्षर निर्गुण ब्रह्रा की उपासना का फल परमगति की प्राप्ति और चौदहवें श्लोक में सगुण-साकार भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">श्रीकृष्ण</balloon> की उपासना का फल भगवान् की प्राप्ति बतलाया गया है । इससे तीनों में किसी प्रकार के भेद का भ्रम न हो जाये, इस उद्देश्य से अब सबकी एकता का प्रतिपादन करते हुए उनकी प्राप्ति के बाद पुनर्जन्म का अभाव दिखलाते हैं-


अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहु: परमां गतिम् ।
यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ।।21।।



जो अव्यक्त 'अक्षर' इस नाम से कहा गया है, उसी अक्षर नामक अव्यक्त भाव को परमगति कहते हैं तथा जिस सनातन अव्यक्त भाव को प्राप्त होकर मनुष्य वापस नहीं आते, वह मेरा परम धाम है ।।21।।

The same unmanifest which has been spoken of as the indestructible is also called the supreme goad; that again is my supreme abode, attaining which they return not to this mortal world.(21)


अव्यक्त: = अव्यक्त ; अक्षर: = अक्षर ; इति = ऐसे ; उक्त: = कहा गया है ; तम् = उस ही अक्षर नामक अव्यक्त भाव को ; परमाम् = परम ; गतिम् = गति ; आहु: = कहते है (तथा) ; यम् = जिस सनातन अव्यक्तभाव को ; प्राप्य = प्राप्त होकर (मनुष्य) ; न निवर्तन्ते = पीछे नहीं आते हैं ; तत् = वह ; मम = मेरा ; परमम् = परम ; धाम = धाम हैं



अध्याय आठ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-8

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>