"गीता 8:22" के अवतरणों में अंतर
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− | ''' | + | '''पुरुष: स पर: पार्थ भक्त्या लभ्यस्त्वनन्यया ।'''<br/> |
'''यस्यान्त:स्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम् ।।22।।''' | '''यस्यान्त:स्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम् ।।22।।''' | ||
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− | हे <balloon title="पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।" style="color:green">पार्थ</ | + | हे <balloon title="पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।" style="color:green">पार्थ</balloon> ! जिस परमात्मा के अन्तर्गत सर्वभूत हैं और जिस सच्चिदानन्दघन परमात्मा से यह सब जगत् परिपूर्ण है, वह सनातन अव्यक्त परम पुरुष तो अनन्य भक्ति से ही प्राप्त होने योग्य है ।।22।। |
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− | तु = और ; पार्थ = हे पार्थ ; यस्य = जिस परमात्मा के ; अन्त:स्थानि = अन्तर्गत ; भूतानि = सर्व भूत हैं (और) ; येन = जिस सच्चिदानन्दघन परमात्मा से ; इदम् = यह ; सर्वम् = सब जगत् ; ततम् = परिपूर्ण है ; स: = वह सनातन अव्यक्त ; पर: = परम ; | + | तु = और ; पार्थ = हे पार्थ ; यस्य = जिस परमात्मा के ; अन्त:स्थानि = अन्तर्गत ; भूतानि = सर्व भूत हैं (और) ; येन = जिस सच्चिदानन्दघन परमात्मा से ; इदम् = यह ; सर्वम् = सब जगत् ; ततम् = परिपूर्ण है ; स: = वह सनातन अव्यक्त ; पर: = परम ; पुरुष: = पुरुष ; अनन्यया = अनन्य ; भक्त्या = भक्ति से ; लभ्य: = प्राप्त होने योग्य है |
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१२:५०, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-8 श्लोक-22 / Gita Chapter-8 Verse-22
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