"गीता 9:22" के अवतरणों में अंतर
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− | पहले दो श्लोकों में यज्ञ द्वारा देवताओं का पूजन करने वाले सकामी मनुष्यों के देवपूजन का फल आवागमन बतलाकर अब भगवान् उनसे | + | पहले दो श्लोकों में यज्ञ द्वारा देवताओं का पूजन करने वाले सकामी मनुष्यों के देवपूजन का फल आवागमन बतलाकर अब भगवान् उनसे भिन्न अपने प्रेमी निष्काम भक्तों की उपासना का फल उनका योग क्षेम वहन करना बतलाते हैं – |
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− | जो अनन्य प्रेमी भक्त जन मुझ परमेश्वर को निरन्तर चिन्तन करते हुए निष्काम भाव से भजते हैं, उन नित्य-निरन्तर मेरा चिन्तन करने वाले | + | जो अनन्य प्रेमी भक्त जन मुझ परमेश्वर को निरन्तर चिन्तन करते हुए निष्काम भाव से भजते हैं, उन नित्य-निरन्तर मेरा चिन्तन करने वाले पुरुषों का योग क्षेम में स्वयं प्राप्त कर देता हूँ ।।22।। |
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− | ये = जो ; अनन्या: = अनन्यभाव से मेरे में स्थित हुए ; जना: = मुझ परमेश्र्वर को ; चिन्तयन्त: = निरन्तर चिन्तन करते हुए ; पर्युपासते = निष्काम भाव से भजते हैं ; तेषाम् = उन ; नित्याभियुक्तानाम् = नित्य एकीभाव से मेरे में स्थिति वाले | + | ये = जो ; अनन्या: = अनन्यभाव से मेरे में स्थित हुए ; जना: = मुझ परमेश्र्वर को ; चिन्तयन्त: = निरन्तर चिन्तन करते हुए ; पर्युपासते = निष्काम भाव से भजते हैं ; तेषाम् = उन ; नित्याभियुक्तानाम् = नित्य एकीभाव से मेरे में स्थिति वाले पुरुषों का ; योगक्षेमम् = योगक्षेम ; अहम् = मैं स्वयम् ; वहामि = प्राप्त कर देता हूं ; |
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− | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 9:21|<= पीछे Prev]] | [[गीता 9:23|आगे Next =>]]'''</div> | + | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 9:21|<= पीछे Prev]] | [[गीता 9:23|आगे Next =>]]'''</div> |
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१२:५१, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-9 श्लोक-22 / Gita Chapter-9 Verse-22
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