"गीता 3:33" के अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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− | इस प्रकार सबको प्रकृति के अनुसार कर्म करने पड़ते हैं, तो फिर | + | इस प्रकार सबको प्रकृति के अनुसार कर्म करने पड़ते हैं, तो फिर कर्म बन्धन से छूटने के लिये मनुष्य को क्या करना चाहिये ? इस जिज्ञासा पर कहते हैं- |
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<div align="center"> | <div align="center"> | ||
'''सदृशं चेष्टते स्वस्या: प्रकृतेर्ज्ञानवानपि ।'''<br /> | '''सदृशं चेष्टते स्वस्या: प्रकृतेर्ज्ञानवानपि ।'''<br /> | ||
− | प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रह: किं करिष्यति ।।33।।''' | + | '''प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रह: किं करिष्यति ।।33।।''' |
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− | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 3:32|<= पीछे Prev]] | [[गीता 3:34|आगे Next =>]]'''</div> | + | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 3:32|<= पीछे Prev]] | [[गीता 3:34|आगे Next =>]]'''</div> |
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१२:३६, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-33 / Gita Chapter-3 Verse-33
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