"गीता 4:15" के अवतरणों में अंतर
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'''एवं ज्ञात्वा कृतं पूर्वैरपि मुमुक्षुभि: ।'''<br/> | '''एवं ज्ञात्वा कृतं पूर्वैरपि मुमुक्षुभि: ।'''<br/> | ||
− | ''' | + | '''कुरु कर्मैव तस्मात्त्वं पूर्वै: पूर्वतरं कृतम् ।।15।।''' |
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− | पूर्वकाल के मुमुक्षुओं ने भी इस प्रकार जानकर ही कर्म किये | + | पूर्वकाल के मुमुक्षुओं ने भी इस प्रकार जानकर ही कर्म किये हैं। इसलिये तू भी पूर्वजों द्वारा सदा से किये जाने वाले कर्मों को ही कर ।।15।। |
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− | पूर्वै: = पहिले होने वाले; मुमक्षुभि: =मुमुक्ष | + | पूर्वै: = पहिले होने वाले; मुमक्षुभि: =मुमुक्ष पुरुषों द्वारा; अपि = भी; एवम् = इस प्रकार; ज्ञात्वा = जानकर (ही) कर्म = कर्म; कृतम् = किया गया है; तत्मात् = इससे; त्वम् = तूं (भी); पूर्वैं: =पूर्वजों द्वारा; पूर्वतरम् कृतम् = सदा से किये हुए; कर्म = कर्म को; एव = ही; कुरु = कर |
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१२:३६, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-15 / Gita Chapter-4 Verse-15
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