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− | उपर्युक्त वर्णन से मनुष्य को स्वाभाविक ही यह शंका हो सकती है कि भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">श्रीकृष्ण</balloon> तो अभी <balloon link="index.php?title=द्वापर युग" title="यह चार युगों में तीसरा युग है । इसकी अवधि पुराणों में चार लाख चौसठ हजार वर्ष मानी गई है। | + | उपर्युक्त वर्णन से मनुष्य को स्वाभाविक ही यह शंका हो सकती है कि भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">श्रीकृष्ण</balloon> तो अभी <balloon link="index.php?title=द्वापर युग" title="यह चार युगों में तीसरा युग है । इसकी अवधि पुराणों में चार लाख चौसठ हज़ार वर्ष मानी गई है। |
| ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">द्वापर युग</balloon> में प्रकट हुए हैं और <balloon link="index.php?title=सूर्य" title="सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए। | | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">द्वापर युग</balloon> में प्रकट हुए हैं और <balloon link="index.php?title=सूर्य" title="सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए। |
| ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">सूर्य</balloon>देव, [[मनु]] एवं <balloon link="index.php?title=इक्ष्वाकु" title="इक्ष्वाकु अयोध्या के राजा थे , इन्होंने ही अयोध्या में कोशल राज्य की स्थापना की थी। | | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">सूर्य</balloon>देव, [[मनु]] एवं <balloon link="index.php?title=इक्ष्वाकु" title="इक्ष्वाकु अयोध्या के राजा थे , इन्होंने ही अयोध्या में कोशल राज्य की स्थापना की थी। |
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०७:१८, ११ मई २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-3 / Gita Chapter-4 Verse-3
प्रसंग-
उपर्युक्त वर्णन से मनुष्य को स्वाभाविक ही यह शंका हो सकती है कि भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">श्रीकृष्ण</balloon> तो अभी <balloon link="index.php?title=द्वापर युग" title="यह चार युगों में तीसरा युग है । इसकी अवधि पुराणों में चार लाख चौसठ हज़ार वर्ष मानी गई है।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">द्वापर युग</balloon> में प्रकट हुए हैं और <balloon link="index.php?title=सूर्य" title="सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">सूर्य</balloon>देव, मनु एवं <balloon link="index.php?title=इक्ष्वाकु" title="इक्ष्वाकु अयोध्या के राजा थे , इन्होंने ही अयोध्या में कोशल राज्य की स्थापना की थी।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">इक्ष्वाकु</balloon> बहुत पहले हो चुके है; तब इन्होंने इस योग का उपदेश सूर्य के प्रति कैसे दिया ? अतएव इसके समाधान के साथ ही भगवान् के अवतार-तत्व को भली प्रकार समझने की इच्छा से <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> पूछते हैं-
स एवायं मया तेऽद्य योग: प्रोक्त: पुरातन: ।
भक्तोऽसि मे सखा चेति रहस्यं ह्रोतदुत्तमम् ।।3।।
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तू मेरा भक्त और प्रिय सखा है, इसलिये यह वही पुरातन योग आज मैंने तुझको कहा है; क्योंकि यह बड़ा ही उत्तम रहस्य है अर्थात् गुप्त रखने योग्य विषय है ।।3।।
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The same ancient Yoga has this day been imparted to you by Me, because you are My devotee and friend; and also because this is a supreme secret. (3)
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स: = वह; एव =ही; अयम् =यह; पुरातन: = पुरातन; योग: = योग; अद्य = अब; मया = मैंने; ते = तेरे लिये; प्रोक्त: =वर्णन किया है; हि =क्योंकि (तूं); में = मेरा; भक्त: = भक्त; च = और; सखा = प्रिय सखा; असि = है; इति = इसलिये (तथा); एतत् = यह (योग) उत्तमम् = बहुत उत्तम; (और) रहस्यम् = रहस्य अर्थात् अति मर्मका विषय है।
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