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गीता अध्याय-3 श्लोक-11 / Gita Chapter-3 Verse-11
देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु व: ।
परस्परं भावयन्त: श्रेय: परमवाप्स्यथ ।।11।।
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तुम लोग इस यज्ञ के द्वारा देवताओं को उन्नत करो और वे देवता तुम लोगों को उन्नत करें । इस प्रकार नि:स्वार्थ भाव से एक-दूसरे को उन्नत करते हुए तुम लोग परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे ।।11।।
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Foster the gods through this (sacrifice), and let the gods tbe gracious to you. Each fostering other disinterestedly, you will attain the highest good. (11)
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अनेन = इस यज्ञद्वारा ; देवान् = देवताओंकी ; भावयत = उन्नति करो (और) ; ते = वे ; देवा: = देवतालोग ; व: = तुमलोगोंकी ; भावयन्तु = उन्नति करें ; (एवम्) = इस प्रकार ; परस्परम् = आपसमें (कर्तव्य समझकर) ; भावयन्त: = उन्नति करते हुए ; परम् = परम ; श्रेय: = कल्याणको ; अवाप्स्यथ = प्राप्त होवोगे ;
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