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− | विषयों का चिन्तन करने वाले | + | विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है, आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है ।।62।। |
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− | विषयान् = विषयोंको ; ध्यायत: = चिन्तन करने वाले ; पुंस: = | + | विषयान् = विषयोंको ; ध्यायत: = चिन्तन करने वाले ; पुंस: = पुरुषकी ; तेषु = उन विषयोंमें ; सग्ड: = आसक्ति ; उपजायते = हो जाती है (और) ; सग्डात् = आसक्तिसे (उन विषयोंकी) ; काम: = कामना ; संजायते = उत्पन्न होती है (और) ; कामात् = कामना (में विन्घ पडने) से ; क्रोध: = क्रोध ; अभिजायते = उत्पन्न होता है |
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१२:३४, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-62 / Gita Chapter-62 Verse-62
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