ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति ५७: |
पंक्ति ५७: |
| <td> | | <td> |
| {{गीता अध्याय}} | | {{गीता अध्याय}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| + | {{महाभारत}} |
| + | </td> |
| + | </tr> |
| + | <tr> |
| + | <td> |
| + | {{गीता2}} |
| </td> | | </td> |
| </tr> | | </tr> |
०८:०८, १९ मार्च २०१० का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-9 / Gita Chapter-2 Verse-9
प्रसंग-
इस प्रकार <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> के चुप हो जाने पर भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">श्रीकृष्ण</balloon> ने क्या किया, इस जिज्ञासा पर <balloon link="index.php?title=संजय" title="संजय को दिव्य दृष्टि का वरदान था । जिससे महाभारत युद्ध में होने वाली घटनाओं का आँखों देखा हाल बताने में संजय, सक्षम था । श्रीमद् भागवत् गीता का उपदेश जो कृष्ण ने अर्जुन को दिया, वह भी संजय द्वारा ही सुनाया गया ।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">संजय</balloon> कहते हैं-
एवमुक्त्वा हृषीकेशं गुडाकेश: परंतप ।
न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह ।।9।।
|
संजय बोले-
हे राजन् ! <balloon title="पार्थ, भारत, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है ।" style="color:green">गुडाकेश</balloon> अन्तर्यामी श्रीकृष्ण महाराज के प्रति इस प्रकार कहकर फिर श्री गोविन्द भगवान् से 'युद्ध नहीं करूँगा' यह स्पष्ट कहकर चुप हो गये ।।9।।
|
Sanjaya said :
O king, having thus spoken to sri Krishna, Arjuna again said to him, “ I will not fight, “ and became silent.(9)
|
परंतप = हे राजन् ; गुडाकेश: = निद्राको जीतनेवाला अर्जुन ; ह्रषीकेशम् = श्रीकृष्ण महाराजके प्रति ; एवम् = इस प्रकार ; उक्त्वा = कहकर (फिर) ; गोविन्दम् ; श्रीगोविन्द भगवानको ; न योत्स्ये = युद्ध नहीं करूंगा ; इति = ऐसे ; ह = स्पष्ट ; उक्त्वा = कहकर ; तूष्णीम् = चुप ; बभूव = हो गया ;
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|
महाभारत |
---|
| महाभारत संदर्भ | | | | महाभारत के पर्व | |
|
|
|