"गीता 2:13" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - '<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>' to '<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>')
 
(३ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ६ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{menu}}<br />
+
{{menu}}
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<tr>
 
<tr>
पंक्ति २३: पंक्ति २३:
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
----
 
----
जैसे जीवात्मा की इस देह में बालक पन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है; उस विषय में धीर पुरूष मोहित नहीं होता ।।13।।  
+
जैसे जीवात्मा की इस देह में बालक पन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है, उस विषय में धीर पुरुष मोहित नहीं होता ।।13।।  
  
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
पंक्ति ३४: पंक्ति ३४:
 
|-
 
|-
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
यथा = जैसे ; देहिन: = जीवात्माकी ; अस्मिन् = इस ; जरा = वृद्ध अवस्था (होती है) ; तथा = वैसे ही ; देहान्तरप्रप्ति = अन्य शरीरकी प्राप्ति होती है ; देहे = देहमें ; कौमारम् = कुमार ; यौवनम् = युवा (और) ; तत्र = उस विषयमें ; धीर: = धीर पुरूष ; न = नहीं ; मुह्राति = मोहित होता है ;  
+
यथा = जैसे ; देहिन: = जीवात्माकी ; अस्मिन् = इस ; जरा = वृद्ध अवस्था (होती है) ; तथा = वैसे ही ; देहान्तरप्रप्ति = अन्य शरीरकी प्राप्ति होती है ; देहे = देहमें ; कौमारम् = कुमार ; यौवनम् = युवा (और) ; तत्र = उस विषयमें ; धीर: = धीर पुरुष ; न = नहीं ; मुह्राति = मोहित होता है ;  
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
 
</td>
 
</td>
 
</tr>
 
</tr>
</table>
+
<tr>
 +
<td>
 
<br />
 
<br />
 
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 2:12|<= पीछे Prev]] | [[गीता 2:14|आगे Next =>]]'''</div>
 
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 2:12|<= पीछे Prev]] | [[गीता 2:14|आगे Next =>]]'''</div>
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 
<br />
 
<br />
 
{{गीता अध्याय 2}}
 
{{गीता अध्याय 2}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 
{{गीता अध्याय}}
 
{{गीता अध्याय}}
[[category:गीता]]
+
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{गीता2}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{महाभारत}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
</table>
 +
[[Category:गीता]]
 +
__INDEX__

१२:३३, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण

गीता अध्याय-2 श्लोक-13 / Gita Chapter-2 Verse-13

प्रसंग-


भगवान् सब प्रकार के संयोग-वियोगादि को अनित्य बतलाकर उनको सहन करने की आज्ञा देते हैं-


देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्राति ।।13।।




जैसे जीवात्मा की इस देह में बालक पन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है, उस विषय में धीर पुरुष मोहित नहीं होता ।।13।।


ust as boyhood, youth and old age are attributed to the soul through this body, even so it attains another body. The wise man does not get deluded about this.(13)


यथा = जैसे ; देहिन: = जीवात्माकी ; अस्मिन् = इस ; जरा = वृद्ध अवस्था (होती है) ; तथा = वैसे ही ; देहान्तरप्रप्ति = अन्य शरीरकी प्राप्ति होती है ; देहे = देहमें ; कौमारम् = कुमार ; यौवनम् = युवा (और) ; तत्र = उस विषयमें ; धीर: = धीर पुरुष ; न = नहीं ; मुह्राति = मोहित होता है ;



अध्याय दो श्लोक संख्या
Verses- Chapter-2

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 , 43, 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>