"गीता 6:20" के अवतरणों में अंतर
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− | '''यत्रोपरमते चित्तं | + | '''यत्रोपरमते चित्तं निरुद्धं योगसेवया ।'''<br /> |
'''यत्र चवात्मनात्मानं पश्यतन्नात्मनं तुष्यति ।।20।।''' | '''यत्र चवात्मनात्मानं पश्यतन्नात्मनं तुष्यति ।।20।।''' | ||
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− | योग के अभ्यास से | + | योग के अभ्यास से निरुद्ध चित्त जिस अवस्था में उपराम हो जाता है, और जिस अवस्था में परमात्मा के ध्यान से शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि द्वारा परमात्मा को साक्षात् करता हुआ सच्चिदानन्दघन परमात्मा में ही संतुष्ट रहता है ।।20।। |
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− | यत्र = जिस अवस्था में; योगसेवया = योग के अभ्यास से; | + | यत्र = जिस अवस्था में; योगसेवया = योग के अभ्यास से; निरुद्धम् = निरूद्व हुआ; चित्तम् = चित्त; उपरमते = उपराम हो जाता है; यत्र =जिस अवस्था में (परमेश्वर के ध्यान से ); आत्मना = शु़द्व हुई सूक्ष्म बुद्वि द्वारा; आत्मानम् = परमात्मा को; पश्यन् = साक्षात् करता हुआ; आत्मनि = सच्चिदानन्द धन परमात्मा में; एव = ही तुष्यति = संतुष्ट होता है |
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१४:५८, २० मई २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-6 श्लोक-20 / Gita Chapter-6 Verse-20
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