"केशी घाट" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो ("केशी घाट" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(३ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ६ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
 
{{menu}}
 
{{menu}}
{{प्रसिद्घ वृन्दावन मंदिर}}
+
{{Panorama
[[श्रेणी:कोश]]
+
|image=चित्र:Keshi-Ghat-2.jpg
[[Category:दर्शनीय-स्थल]]
+
|height= 200
==केशी घाट वृन्दावन / Keshi Ghat Vrindavan==
+
|alt=वृन्दावन
[[चित्र:Keshi-Ghat-2.jpg|केशी घाट, [[वृन्दावन]]<br /> Keshi Ghat, Vrindavan|thumb|600px|center]]
+
|caption=[[यमुना नदी]] पार से [[वृन्दावन]] का द्रश्य<br /> View Of Vrindavan Across Yamuna
 +
}}
 +
{| style="background-color:#f6f6f6;border:1px solid #aaaaaa;-moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" cellspacing="3" align="center"
 +
|[[चित्र:Tranfer-icon.png|link=|]]
 +
| यह लेख परिष्कृत रूप में [[:bk:मुखपृष्ठ|भारतकोश]] पर बनाया जा चुका है। [[:bk:केशी घाट वृन्दावन|भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें]]
 +
|}
 +
==केशी घाट वृन्दावन / [[:en:Keshi Ghat|Keshi Ghat Vrindavan]]==
 
यमुना के किनारे चीरघाट से कुछ पूर्व दिशा में केशी घाट अवस्थित है। श्रीकृष्ण ने यहाँ केशी दैत्य का वध किया था।
 
यमुना के किनारे चीरघाट से कुछ पूर्व दिशा में केशी घाट अवस्थित है। श्रीकृष्ण ने यहाँ केशी दैत्य का वध किया था।
  
पंक्ति २०: पंक्ति २६:
 
चित्र:Keshi-Ghat-7.jpg|केशी घाट, [[वृन्दावन]]<br /> Keshi Ghat, Vrindavan
 
चित्र:Keshi-Ghat-7.jpg|केशी घाट, [[वृन्दावन]]<br /> Keshi Ghat, Vrindavan
 
</gallery>
 
</gallery>
 +
==सम्बंधित लिंक==
 +
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
 +
[[en:Keshi Ghat]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
+
__NOTOC__
{{यमुना के घाट वृन्दावन}}
 

११:१९, ९ फ़रवरी २०१४ के समय का अवतरण

वृन्दावन
यमुना नदी पार से वृन्दावन का द्रश्य
View Of Vrindavan Across Yamuna
Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

केशी घाट वृन्दावन / Keshi Ghat Vrindavan

यमुना के किनारे चीरघाट से कुछ पूर्व दिशा में केशी घाट अवस्थित है। श्रीकृष्ण ने यहाँ केशी दैत्य का वध किया था।

प्रसंग

एक समय सखाओं के साथ कृष्ण यहाँ गोचारण कर रहे थे। सखा मधुमंगल ने हँसते हुए श्रीकृष्ण से कहा-प्यारे सखा! यदि तुम अपना मोरमुकुट, मधुर मुरलिया और पीतवस्त्र मुझे दे दो तो सभी गोप-गोपियाँ मुझे ही प्यार करेंगी तथा रसीले लड्डू मुझे ही खिलाएँगी। तुम्हें कोई पूछेगा भी नहीं। कृष्ण ने हँसकर अपना मोरपंख, पीताम्बर, मुरली और लकुटी मधुमंगल इठलाता हुआ इधर-उधर घूमने लगा। इतने में ही महापराक्रमी केशी दैत्य विशाल घोड़े का रूप धारण कर कृष्ण का वध करने के लिए हिनहिनाता हुआ वहाँ उपस्थित हुआ। उसने महाराज कंस से सुन रखा था- जिसके सिर पर मोरपंख, हाथों में मुरली, अंगों पर पीतवसन देखो, उसे कृष्ण समझकर अवश्य मार डालना। उसने कृष्ण सजे हुए मधुमंगलको देखकर अपने दोनों पिछले पैरों से आक्रमण किया। कृष्ण ने झपटकर पहले मधुमंगल को बचा लिया। इसके पश्चात केशी दैत्य का वध किया। मधुमंगल को केशी दैत्य के पिछले पैरों की चोट तो नहीं लगी, किन्तु उसकी हवा से ही उसके होश उड़ गये। केशी वध के पश्चात वह सहमा हुआ तथा लज्जित होता हुआ कृष्ण के पास गया तथा उनकी मुरली , मयूरमुकुट, पीताम्बर लौटाते हुए बोला- मुझे लड्डू नहीं चाहिए। प्राण बचे तो लाखों पाये। ग्वाल-बाल हँसने लगे। आज भी केशीघाट इस लीला को अपने हृदय में संजोये हुए विराजमान है।

वीथिका

सम्बंधित लिंक