"प्रयाग तीर्थ" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - '[[category' to '[[Category') |
Maintenance (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - '{{यमुना के घाट}}' to '==सम्बंधित लिंक== {{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}') |
||
पंक्ति १८: | पंक्ति १८: | ||
==टीका-टिप्पणी== | ==टीका-टिप्पणी== | ||
==अन्य लिंक== | ==अन्य लिंक== | ||
− | {{ | + | ==सम्बंधित लिंक== |
+ | {{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} | ||
[[en:Prayag Tirth]] | [[en:Prayag Tirth]] | ||
[[Category: कोश]] | [[Category: कोश]] | ||
[[Category:दर्शनीय-स्थल]] | [[Category:दर्शनीय-स्थल]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
१०:२१, ५ जुलाई २०१० का अवतरण
प्रयाग तीर्थ
| |
---|---|
मार्ग स्थिति: | यह मथुरा के परिक्रमा मार्ग पर स्थित है । |
आस-पास: | |
पुरातत्व: | निर्माणकाल- अठारहवीं शताब्दी |
वास्तु: | |
स्वामित्व: | उत्तर प्रदेश सरकार |
प्रबन्धन: | |
स्त्रोत: | इंटैक |
अन्य लिंक: | |
अन्य: | |
सावधानियाँ: | |
मानचित्र: | |
अद्यतन: | 2009 |
प्रयाग तीर्थ / Prayag Tirth
प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।
यहाँ तीर्थराज प्रयाग भगवद् आराधना करते हैं। यहीं पर प्रयाग के वेणीमाधव नित्य अवस्थित रहते हैं। यहाँ स्नान करने वाले अग्निष्टोम आदि का फल प्राप्त कर वैकुण्ठ धाम को प्राप्त होते हैं।
इतिहास
यहाँ बेनी माधव व रामेश्वर महादेव की मूर्तियाँ स्थापित हैं ।
वास्तु
यहाँ बिना छतरी के दो बुर्ज मात्र ही बचे हैं । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है ।