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श्री राघव पण्डित की गुफ़ा से आगे चलने पर परिक्रमा मार्ग में दाहिनी ओर निर्मल और मीठे जल से भरा हुआ सुरभि कुण्ड स्थित है । [[गोविन्द कुण्ड]] पर [[इन्द्र]] की प्रार्थना से सुरभि जी ने अपने स्तन के दूध से श्री गोविन्द जी का अभिषेक किया था । तत्पश्चात श्री [[कृष्ण]] की गोचारण लीला तथा विशेषत: श्री [[राधा]]-कृष्ण युगल की निभृत निकुञ्जलीला का दर्शन करने के लोभ से श्री कृष्ण की [[ब्रज]] लीला तक यहीं निवास करने लगी । महाराज [[वज्रनाभ]] ने इनकी स्मृति के लिए इस सुरभि कुण्ड की स्थापना की । यहाँ स्नान एवं आचमन करने से सारे पाप, अपराध एवं अनर्थ दूर हो जाते हैं ।  तथा ब्रज-प्रेम प्राप्त होता है ।  
 
श्री राघव पण्डित की गुफ़ा से आगे चलने पर परिक्रमा मार्ग में दाहिनी ओर निर्मल और मीठे जल से भरा हुआ सुरभि कुण्ड स्थित है । [[गोविन्द कुण्ड]] पर [[इन्द्र]] की प्रार्थना से सुरभि जी ने अपने स्तन के दूध से श्री गोविन्द जी का अभिषेक किया था । तत्पश्चात श्री [[कृष्ण]] की गोचारण लीला तथा विशेषत: श्री [[राधा]]-कृष्ण युगल की निभृत निकुञ्जलीला का दर्शन करने के लोभ से श्री कृष्ण की [[ब्रज]] लीला तक यहीं निवास करने लगी । महाराज [[वज्रनाभ]] ने इनकी स्मृति के लिए इस सुरभि कुण्ड की स्थापना की । यहाँ स्नान एवं आचमन करने से सारे पाप, अपराध एवं अनर्थ दूर हो जाते हैं ।  तथा ब्रज-प्रेम प्राप्त होता है ।  
  
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१२:५२, ५ जुलाई २०१० का अवतरण

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सुरभि कुण्ड / Surabhi Kund

श्री राघव पण्डित की गुफ़ा से आगे चलने पर परिक्रमा मार्ग में दाहिनी ओर निर्मल और मीठे जल से भरा हुआ सुरभि कुण्ड स्थित है । गोविन्द कुण्ड पर इन्द्र की प्रार्थना से सुरभि जी ने अपने स्तन के दूध से श्री गोविन्द जी का अभिषेक किया था । तत्पश्चात श्री कृष्ण की गोचारण लीला तथा विशेषत: श्री राधा-कृष्ण युगल की निभृत निकुञ्जलीला का दर्शन करने के लोभ से श्री कृष्ण की ब्रज लीला तक यहीं निवास करने लगी । महाराज वज्रनाभ ने इनकी स्मृति के लिए इस सुरभि कुण्ड की स्थापना की । यहाँ स्नान एवं आचमन करने से सारे पाप, अपराध एवं अनर्थ दूर हो जाते हैं । तथा ब्रज-प्रेम प्राप्त होता है ।

सम्बंधित लिंक

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