गीता 11:2

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गीता अध्याय-11 श्लोक-2 / Gita Chapter-11 Verse-2


भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तशो मया ।
त्वत्त: कमलपत्राक्ष महात्म्यमपि चाव्ययम् ।।2।।



क्योंकि हे कमलनेत्र ! मैंने आपसे भूतों की उत्पत्ति और प्रलय विस्तारपूर्वक सुने हैं तथा आपकी अविनाशी महिमा भी सुनी है ।।2।।

For, Krishna, I have heard from you in detail an account of the evolution and dissolution of being, and also your immortal glory. (2)


हि = क्योंकि; कमलपत्राक्ष = हे कमलनेत्र; मया = मैंने; भूतानाम् = भूतोंकी; भवाप्ययौ = उत्पत्ति और प्रलय; त्वत्त: = आपसे; विस्तरश: = विस्तारपूर्वक; श्रुतौ = सुने हैं; च = तथा(आपका); अव्ययम् = अविनाशी; महात्म्यम् = प्रभाव; अपि = भी(सुना है)


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