"आद्रनिन्दकरी तृतीया" के अवतरणों में अंतर
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१४:०७, २१ सितम्बर २०१० के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत उत्तराषाढ़, पूर्वाषाढ़ या अभिजित् या हस्त या मूल नक्षत्र, वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया पर प्रारम्भ करना चाहिए।
- यह व्रत एक वर्ष तक किया जाता है, जो तीन अवधियों में विभाजित कर दिया जाता है।
- इस व्रत में भवानी एवं शिव की पूजा करनी चाहिए।
- देवी के चरणों से मुकुट तक के सभी अंगों को प्रणाम करना चाहिए।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मत्स्य पुराण (64|1-28), हेमाद्रि व्रतखण्ड (1, 471-474), कृत्यकल्पतरु (व्रत 51-55)।
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