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श्रावणी तीज के अवसर पर [[जयपुर]] में लगने वाला यह मेला अपना एक विशिष्‍ट स्‍थान रखता है। इस दिन [[छ़योढी]] से पूजा अर्चना के बाद पूरे लवाजमें के साथ तीज माता की सवारी निकाली जाती है। यह सवारी [[त्रिपोलिया बाजार जयपुर|त्रिपोलिया बाजार]], [[छोटी चौपड जयपुर|छोटी चौपड]], [[गणगौरी बाजार जयपुर|गणगौरी बाजार]] और [[चौगान जयपुर|चौगान]] होते हुए [[पालिका बाग]] पहुंचकर विसर्जित होती है। सवारी को देखने के लिये रंग बिरंगी पोशाकों से सजे ग्रामीणों के साथ ही भारी संख्‍या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं।
==तीज मेला जयपुर==
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==संबंधित लेख==
*[[श्रावण|श्रावणी]] तीज के अवसर पर [[जयपुर]] में लगने वाला यह मेला अपना एक विशिष्‍ट स्‍थान रखता है।  
 
*इस दिन छ़योढी से पूजा अर्चना के बाद पूरे लवाजमें के साथ तीज माता की सवारी निकाली जाती है।  
 
*यह सवारी त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड, गणगौरी बाजार और चौगान होते हुए पालिका बाग पहुंचकर विसर्जित होती है।  
 
*सवारी को देखने के लिये रंग बिरंगी पोशाकों से सजे ग्रामीणों के साथ ही भारी संख्‍या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं।
 
*[[जयपुर]] के राजाओं के समय में [[पार्वती]] जी की प्रतिमा, जिसे 'तीज माता' कहते हैं, को एक जुलूस उत्सव में दो दिन तक ले जाया जाता था।
 
*उत्सव से कुछ पूर्व प्रतिमा में दोबारा से रंगकारी की जाती है तथा त्यौहार वाले दिन इसे नवपरिधानों से सजाया जाता है।
 
*पारम्परिक आभूषणों से सुसज्जित राजपरिवार की स्त्रियाँ मूर्ति की पूजा, जनाना कमरे में करती हैं।
 
*इसके पश्चात प्रतिमा को जुलूस में सम्मिलित होने के लिए प्रांगण में ले जाया जाता है।
 
*हज़ारों दर्शक बड़ी अधीरता से भगवती की एक झलक पाने के लिए लालायित हो उठते हैं।
 
*लोगों की अच्छी ख़ासी भीड़ होती है। मार्ग के दोनों ओर, छतों पर हज़ारों ग्रामीण अपने पारम्परिक रंग–बिरंगे परिधानों में एकत्रित होते हैं।
 
*पुरोहित द्वारा बताए गए शुभ मुहूर्त में, जुलूस का नेतृत्व निशान का हाथी (इसमें एक विशेष ध्वजा बाँधी जाती है) करता है। सुसज्जित हाथी, बैलगाड़ियाँ व रथ इस जुलूस को अत्यन्त ही मनोहारी बना देते हैं।
 
*यह जुलूस फिर त्रिपोलिया द्वार से प्रस्थान करता है और तभी लम्बी प्रतीक्षा के बाद तीज प्रतिमा दृष्टिगोचर होती है। भीड़ आगे बढ़ प्रतिमा की एक झलक के रूप में आशीर्वाद पाना चाहती है।
 
*जैसे ही जुलूस आँखों से ओझल होता है, भीड़ तितर–बितर होना आरम्भ हो जाती है। लोग घर लौटकर अगले त्यौहार की तैयारी में लग जाते हैं।
 
*तीज, नृत्य व संगीत का उल्लास भरा पर्व है। सभी प्रसन्न हो, अन्त में स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लेते हैं।
 
*प्रकृति एवं मानव ह्रदय की भव्य भावना की अभिव्यक्ति तीज पर्व (कजली तीज, हरियाली तीज व श्रावणी तीज) में निहित है।
 
*इस त्यौहार के आस–पास खेतों में ख़रीफ़ की बुवाई भी शुरू हो जाती है। अतः लोकगीतों में उस त्यौहार को सुखद, सुरम्य और सुहावने रूप में गाया–मनाया जाता है।
 
 
 
==सम्बंधित लिंक==
 
 
{{पर्व और त्योहार}}
 
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०८:५६, ६ फ़रवरी २०११ के समय का अवतरण

श्रावणी तीज के अवसर पर जयपुर में लगने वाला यह मेला अपना एक विशिष्‍ट स्‍थान रखता है। इस दिन छ़योढी से पूजा अर्चना के बाद पूरे लवाजमें के साथ तीज माता की सवारी निकाली जाती है। यह सवारी त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड, गणगौरी बाजार और चौगान होते हुए पालिका बाग पहुंचकर विसर्जित होती है। सवारी को देखने के लिये रंग बिरंगी पोशाकों से सजे ग्रामीणों के साथ ही भारी संख्‍या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं।

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