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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड, 1, 48, षट्-त्रिशन्मत से उद्धरण)
  2. 70, यहाँ पर टिप्पणी है कि कुछ लोग चीनक के स्थान पर देवधान्य रखते हैं
  3. विष्णु पुराण, (1|6|21-22)
  4. वायु पुराण,(8|150-152)
  5. मार्कण्डेय पुराण, (46|67-69)
  6. पृ0 17

अन्य संबंधित लिंक