"धारा व्रत" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
Maintenance (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - 'Category:संस्कृति कोश' to 'Category:कोश') |
Maintenance (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - '{{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}' to '') |
||
पंक्ति ६: | पंक्ति ६: | ||
*इस व्रत से चिन्ता दूर होती है, सौन्दर्य एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 853, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)</ref> | *इस व्रत से चिन्ता दूर होती है, सौन्दर्य एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 853, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)</ref> | ||
− | + | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
१४:१६, २१ सितम्बर २०१० के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- चैत्र से यह व्रत आरम्भ होता है।
- मुख में जलधारा डाल-डालकर पीना होता है।
- यह व्रत एक वर्ष तक किया जाता है।
- अन्त में एक नयी प्याऊ (पौसरा बनवाना) बनवानी होती है।
- इस व्रत से चिन्ता दूर होती है, सौन्दर्य एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 853, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)
अन्य संबंधित लिंक
|