"योगचूडाण्युपनिषद" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> ==योगचूडामण्युपनिषद== सामवेदीय परम्परा के इस उपनिषद में 'योग...)
 
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{menu}}<br />
+
{{menu}}
 +
{{सामवेदीय उपनिषद}}
 +
<br />
 
==योगचूडामण्युपनिषद==
 
==योगचूडामण्युपनिषद==
 
सामवेदीय परम्परा के इस उपनिषद में 'योग-साधना' द्वारा आत्मशक्ति जागरण की प्रक्रिया का समग्र मार्गदर्शन कराया गया है।  
 
सामवेदीय परम्परा के इस उपनिषद में 'योग-साधना' द्वारा आत्मशक्ति जागरण की प्रक्रिया का समग्र मार्गदर्शन कराया गया है।  

०७:५८, ३ जनवरी २०१० का अवतरण

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • सामवेदीय उपनिषद
    • आरूणकोपनिषद|आरूणकोपनिषद
    • केनोपनिषद|केनोपनिषद
    • कुण्डिकोपनिषद|कुण्डिकोपनिषद
    • छान्दोग्य उपनिषद|छान्दोग्य उपनिषद
    • जाबाल्युपनिषद|जाबाल्युपनिषद
    • जाबालदर्शनोपनिषद|जाबालदर्शनोपनिषद
    • महोपनिषद|महोपनिषद
    • मैत्रेय्युग्पनिषद|मैत्रेय्युग्पनिषद
    • योगचूडाण्युपनिषद|योगचूडाण्युपनिषद
    • रूद्राक्षजाबालोपनिषद|रूद्राक्षजाबालोपनिषद
    • वज्रसूचिकोपनिषद|वज्रसूचिकोपनिषद
    • संन्यासोपनिषद|संन्यासोपनिषद
    • सावित्र्युपनिषद|सावित्र्युपनिषद

</sidebar>

योगचूडामण्युपनिषद

सामवेदीय परम्परा के इस उपनिषद में 'योग-साधना' द्वारा आत्मशक्ति जागरण की प्रक्रिया का समग्र मार्गदर्शन कराया गया है।

योग द्वारा आत्मशक्ति

सर्वप्रथम योग के छह अंगों-

  1. आसन,
  2. प्राणायाम,
  3. प्रत्याहार,
  4. धारणा,
  5. ध्यान और
  6. समाधि का विस्तृत उल्लेख किया गया है। इसके बाद योग-सिद्धि के लिए आवश्यक देह तत्त्व का ज्ञान व मूलाधार चक्र से 'कुण्डिलिनी' जागरण आदि की विधि बतायी गयी है। उसके बाद 'नाड़ीचक्र' और 'प्राणवायु' की गति का उल्लेख है। तदुपरान्त प्रणव (ओंकार) जप की प्रक्रिया, प्रणव और ब्रह्म की एकरूपता, प्रणव-साधना, आत्मज्ञान, प्राणायाम अभ्यास, इन्द्रियों का प्रत्याहार आदि पर प्रकाश डाला गया है। योगपरक उपनिषदों में इस 'योगचूड़ामणि' उपनिषद का बड़ा महत्त्व है।





उपनिषद के अन्य लिंक