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'''त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् ।'''<br/> | '''त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् ।'''<br/> | ||
'''त्वमव्यय: शाश्वतधर्मगोप्ता'''<br/> | '''त्वमव्यय: शाश्वतधर्मगोप्ता'''<br/> | ||
− | '''सनातनस्त्वं | + | '''सनातनस्त्वं पुरुषो मतो मे ।।18।।''' |
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− | आप ही जानने योग्य परम अक्षर अर्थात् परम | + | आप ही जानने योग्य परम अक्षर अर्थात् परम <balloon link="index.php?title=ब्रह्मा" title="सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य सृष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं। |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">ब्रह्मा</balloon> परमात्मा हैं, आप ही इस जगत् के परम आश्रय हैं, आप ही अनादि धर्म के रक्षक हैं और आप ही अविनाशी सनातन पुरुष हैं । ऐसा मेरा मत है ।।18।। | ||
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१२:१४, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
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गीता अध्याय-11 श्लोक-18 / Gita Chapter-11 Verse-18
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