"गीता 11:28" के अवतरणों में अंतर
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− | दोनों सेनाओं के योद्धाओं को अर्जुन किस प्रकार भगवान् के विकराल मुखों में प्रविष्ट होते देख रहे हैं, अब दो श्लोकों में उसका पहले नदियों के जल के दृष्टान्त से और तदनन्तर पतंगे के दृष्टान्त से स्पष्टीकरण कर रहे हैं- | + | दोनों सेनाओं के योद्धाओं को <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> | ||
+ | अर्जुन</balloon> किस प्रकार भगवान् के विकराल मुखों में प्रविष्ट होते देख रहे हैं, अब दो श्लोकों में उसका पहले नदियों के जल के दृष्टान्त से और तदनन्तर पतंगे के दृष्टान्त से स्पष्टीकरण कर रहे हैं- | ||
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− | '''यथा नदीनां बहवोऽम्बुवेगा: समुद्रमेवाभिमुखा द्रविन्ति ।'''<br/> | + | '''यथा नदीनां बहवोऽम्बुवेगा:'''<br/> |
− | '''तथा तवामी नरलोकवीरा विशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति ।।28।।''' | + | '''समुद्रमेवाभिमुखा द्रविन्ति ।'''<br/> |
+ | '''तथा तवामी नरलोकवीरा'''<br/> | ||
+ | '''विशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति ।।28।।''' | ||
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१२:१५, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-28 / Gita Chapter-11 Verse-28
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