"गीता 11:3" के अवतरणों में अंतर
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'''एवमेतद्यथात्थ त्वमात्मानं परमेश्वर ।'''<br/> | '''एवमेतद्यथात्थ त्वमात्मानं परमेश्वर ।'''<br/> | ||
− | '''द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं | + | '''द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं पुरुषोत्तम ।।3।।''' |
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− | हे परमेश्वर ! आप अपने को जैसा कहते हैं, यह ठीक ऐसा ही है; परंतु हे | + | हे परमेश्वर ! आप अपने को जैसा कहते हैं, यह ठीक ऐसा ही है; परंतु हे <balloon title="मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।" style="color:green">पुरुषोत्तम</balloon> ! आपके ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल, वीर्य और तेज से युक्त ऐश्वर-रूप को मैं प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ ।।3।। |
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− | परमेश्वर = हे परमेश्वर; त्वम् = आप; आत्मानम् = अपने को; यथा =जैसा; आत्थ = कहते हो; एतत् = यह(ठीक); (एव) = ही है(परन्तु); | + | परमेश्वर = हे परमेश्वर; त्वम् = आप; आत्मानम् = अपने को; यथा =जैसा; आत्थ = कहते हो; एतत् = यह(ठीक); (एव) = ही है(परन्तु); पुरुषोत्तम = हे पुरुषोत्तम; ऐश्वरम् = ज्ञान ऐश्वर्य शक्ति बल वीर्य और तेजयुक्त; रूपम् = रूपको(प्रत्यक्ष); द्रष्टुम् = देखना; इच्छामि = चाहता हूं |
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१२:१५, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-3 / Gita Chapter-11 Verse-3
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