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− | '''त्वामादिदेव: | + | '''त्वामादिदेव: पुरुष: पुराण'''<br/> |
'''स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् ।'''<br/> | '''स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् ।'''<br/> | ||
'''वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम'''<br/> | '''वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम'''<br/> | ||
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− | आप आदि देव और सनातन | + | आप आदि देव और सनातन पुरुष हैं, आप इस जगत् के परम आश्रय और जानने वाले तथा जानने योग्य और परमधाम हैं । हे <balloon title="अनन्त रूप, मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।" style="color:green">अनन्त रूप</balloon> ! आपसे यह सब जगत् व्याप्त अर्थात् परिपूर्ण है ।।38।। |
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१२:१५, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-38 / Gita Chapter-11 Verse-38
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