"गीता 11:39" के अवतरणों में अंतर
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− | ''' | + | '''वायुर्यमोऽग्निर्वरुण: शशांक्ङ:'''<br/> |
'''प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च ।'''<br/> | '''प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च ।'''<br/> | ||
'''नमो नमस्तेऽस्तु सहस्त्रकृत्व:'''<br/> | '''नमो नमस्तेऽस्तु सहस्त्रकृत्व:'''<br/> | ||
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− | आप [[वायु]], | + | आप [[वायु देव|वायु]], <balloon link="index.php?title=यमराज" title="यमराज जीवों के शुभाशुभ कर्मों के निर्णायक हैं। |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">यमराज</balloon>, <balloon link="index.php?title=अग्निदेव " title="अग्निदेवता यज्ञ के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र प्रकाश करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अग्नि</balloon>, <balloon link="index.php?title=वरुण " title="वरुण जल के स्वामी तथा सम्पूर्ण सम्राटों के सम्राट हैं। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">वरुण</balloon>, <balloon link="index.php?title=चंद्र" title="पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी अत्रि और अनुसूया की संतान बताया गया है जिसका नाम 'सोम' है। | ||
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">चन्द्रमा</balloon>, प्रजा के स्वामी <balloon link="index.php?title=ब्रह्मा" title="सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य सृष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">ब्रह्मा</balloon> और ब्रह्म के भी पिता हैं । आपके लिये हज़ारों बार नमस्कार ! नमस्कार हो !! आपके लिये फिर भी बार-बार नमस्कार ! नमस्कार ! ।।39।। | ||
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− | त्वम् = आप; अग्नि: = अग्नि; शशाक्ड: = चन्द्रमा(तथा); प्रजापति: = प्रजा के स्वामी ब्रह्रा; प्रपितामह: = ब्रह्राके भी पिता; ते = आपके लिये; सहस्त्रकृत्व: = | + | त्वम् = आप; अग्नि: = अग्नि; शशाक्ड: = चन्द्रमा(तथा); प्रजापति: = प्रजा के स्वामी ब्रह्रा; प्रपितामह: = ब्रह्राके भी पिता; ते = आपके लिये; सहस्त्रकृत्व: = हज़ारों बार; नम: = नमस्कार; अस्तु = होवे; ते = आपके लिये; भूय: =फिर; पुन: च = बारम्बार |
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०७:१८, ११ मई २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-39 / Gita Chapter-11 Verse-39
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